कावेरी नदी का 140 साल पुराना वो विवाद, जिसने तमिलनाडु-कर्नाटक में फिर कलह करवा दी

National

प्रमोद मिश्रा, 22अगस्त 2023

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक बार फिर कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर ठन गई है. इससे दोनों राज्यों की सरकारों के बीच मुश्किल खड़ी हो गई है. कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है तो तमिलनाडु में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन की.

दोनों राज्यों के बीच वैसे तो कावेरी नदी को लेकर विवाद आजादी से पहले का है, लेकिन कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसे सुलझा दिया था. लेकिन हाल ही में एक बार फिर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच इसे लेकर झगड़ा शुरू हो गया है.

 

 

 

झगड़ा इतना बढ़ गया है कि एक बार फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कर्नाटक को 24,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश देने की मांग की है. तमिलनाडु की इस याचिका पर अब कर्नाटक भी अपील दायर करने जा रहा है.

इतना ही नहीं, इस मुद्दे पर कर्नाटक में कांग्रेस ने 23 अगस्त को ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा, ‘अपने राज्य की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, क्योंकि कर्नाटक के किसानों को पानी नहीं मिल रहा है. बारिश भी अच्छी नहीं हुई है. जलाशय में प्रवाह कम हो रहा है. इसलिए हम इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं.’

मौजूदा विवाद कैसे शुरू हुआ?

– ये पूरा विवाद कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के एक बयान से शुरू हुआ. डीके शिवकुमार जल संसाधन मंत्री भी हैं.

– उन्होंने कहा था कि कर्नाटक तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी दे पाने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि यहां की नदियों और जलाशयों में खुद के लिए पानी नहीं है.

– इस मसले को तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट लेकर चली गई. तमिलनाडु ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कर्नाटक सरकार को 24 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश देने की मांग की.

– इसी बीच कर्नाटक सरकार ने तमिलनाडु को 10 हजार क्यूसेक पानी देने की बात कही. लेकिन इसे लेकर नया बवाल खड़ा हो गया. बीजेपी ने कर्नाटक सरकार पर राज्य के किसानों को अनदेखा करने का आरोप लगाते हुए सोमवार को प्रदर्शन किया. साथ ही कांग्रेस नेताओं के पुतले जलाए.

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कावेरी नदी के जल विवाद का लंबा इतिहास रहा है. कावेरी नदी कर्नाटक के कोडागू जिले से निकलती है और तमिलनाडु से होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है.

– कावेरी घाटी में हिस्सा केरल का है और समंदर में मिलने से पहले ये पुडुचेरी के कराइकाल से होकर गुजरती है.

– कावेरी नदी की लंबाई तकरीबन 750 किलोमीटर है. ये नदी कुशालनगर, मैसूर, श्रीरंगापटना, त्रिरुचिरापल्ली, तंजावुर और मइलादुथुरई जैसे शहरों से गुजरती हुई तमिलनाडु से बंगाल की खाड़ी में गिरती है.

– कावेरी के बेसिन में कर्नाटक का 32 हजार वर्ग किमी और तमिलनाडु का 44 हजार वर्ग किमी का इलाका शामिल है. ये दोनों ही राज्य सिंचाई के पानी की जरूरत की वजह से कावेरी के मुद्दे पर दशकों तक लड़ते रहे.

पर क्या है इसे लेकर विवाद?

– दोनों राज्यों के बीच ये विवाद 140 साल से भी ज्यादा पुराना है. सबसे पहले साल 1881 में ये विवाद तब शुरू हुआ, जब तत्कालीन मैसूर राज्य (अब कर्नाटक) ने कावेरी नदी पर बांध बनाने का फैसला किया. लेकिन मद्रास राज्य (अब तमिलनाडु) ने इस पर आपत्ति जताई.

करीब चालीस साल तक ऐसे ही विवाद चलता रहा. फिर 1924 में ब्रिटिशर्स की मदद से एक समझौता हुआ. समझौते के तहत, कर्नाटक को कावेरी नदी का 177 TMC और तमिलनाडु को 556 TMC पानी मिला. TMC यानी, हजार मिलियन क्यूबिक फीट. लेकिन विवाद पूरी तरह नहीं सुलझ सका.

– आजादी के बाद 1972 में केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाई. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कावेरी नदी के चारों दावेदारों के बीच 1976 में एक समझौता हुआ. लेकिन इस समझौते का पालन नहीं हुआ और विवाद चलता रहा.

– 90 के दशक में विवाद बढ़ता चला गया. तो 2 जून 1990 को कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल (CWDT) का गठन किया गया. इस ट्रिब्यूनल ने साल 2007 में अपना फैसला दिया.

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ट्रिब्यूनल ने क्या फैसला दिया?

– 2007 में ट्रिब्यूनल के फैसले से पहले कर्नाटक 465 TMC पानी मांग रहा था, जबकि तमिलनाडु को 562 TMC चाहिए था.

– लेकिन ट्रिब्यूनल ने कहा कि कर्नाटक को सालाना 270 TMC और तमिलनाडु को 419 TMC पानी मिलेगा. केरल को 30 TMC और पुडुचेरी को 7 TMC पानी देने को कहा गया.

लेकिन ये विवाद सुलझने की बजाय और उलझ गया. कोई भी राज्य खुश नहीं था. तमिलनाडु ने ट्रिब्यूनल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. बाद में कर्नाटक सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई.

फिर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला

– कावेरी जल विवाद पर 16 फरवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक का पानी बढ़ा दिया तो तमिलनाडु का घटा दिया. जबकि, केरल और पुडुचेरी के बंटवारे में कोई बदलाव नहीं हुआ.

– सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि कर्नाटक को हर साल 284.75 TMC पानी मिलेगा. जबकि, तमिलनाडु को सालाना 404.25 TMC पानी देने को कहा. केरल के हिस्से में 30 TMC और पुडुचेरी को 7 TMC पानी ही आया.

– इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिया कि वो हर साल तमिलनाडु को 177.25 TMC पानी देगा. ये पानी बिलिगुंडलु डैम से छोड़ा जाएगा.

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