‘हर देशवासी का अपना अभियान है आत्मनिर्भर भारत’ मन की बात में बोले पीएम मोदी

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प्रमोद मिश्रा, 27 अगस्त 2023

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 27 अगस्त यानी रविवार को ‘मन की बात’ के 104वें संस्करण को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सावन महाशिव, उत्सव और उल्लास का महीना है। चंद्रयान की सफलता ने उत्सव के इस माहौल को कई गुना बढ़ा दिया है। चंद्रयान को चंद्रमा पर पहुंचे तीन दिन से ज्यादा का समय हो रहा है। ये सफलता इतनी बड़ी है कि इसकी जितनी चर्चा की जाए कम है।

अभी तो सूरज उगा है’
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान अपनी लिखी कविता भी सुनाई। उन्होंने कहा कि जब आज आपसे बात कर रहा हूं तो एक पुरानी मेरी कविता की कुछ पंक्तियां याद आ रही है।

 

 

संकल्प के कुछ सूरज चांद पर भी उगते हैं’
पीएम मोदी ने कहा कि 23 अगस्त को भारत ने और भारत के चंद्रयान ने ये साबित कर दिया है कि संकल्प के कुछ सूरज चांद पर भी उगते हैं। मिशन चंद्रयान नए भारत की उस भावना का प्रतीक बन गया है, जो हर हाल में जीतना चाहता है और हर हाल में जीतना जानता भी है।

पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें
चंद्रयान मिशन का एक पक्ष ऐसा भी रहा है जिसकी आज मैं आब सब के साथ विशेष तौर पर चर्चा करना चाहता हूं। आपको याद होगा इस बार मैंने लाल किले से कहा कि हमें महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को राष्ट्रीय चरित्र के रूप में सशक्त करना है। जहां महिला शक्ति का सामर्थ्य जुड़ जाता है, वहां असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। भारत का मिशन चंद्रयान, नारीशक्ति का भी जीवंत उदाहरण है | इस पूरे मिशन में अनेकों महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर सीधे तौर पर जुड़ी रही हैं। इन्होंने अलग-अलग सिस्टम्स के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रोजेक्ट मैनेजर और ऐसी कई अहम जिम्मेदारियां संभाली है। भारत की बेटियां अब अनंत समझे जाने वाले अंतरिक्ष को भी चुनौती दे रही हैं | किसी देश की बेटियां जब इतनी आकांक्षी हो जाएं, तो उसे, उस देश को, विकसित बनने से भला कौन रोक सकता है! चंद्रयान-3 की सफलता से हमारे वैज्ञानिकों के साथ ही दूसरे सेक्टर्स की भी अहम भूमिका रही है। तमाम पार्ट्स और तकनीकी जरूरतों को पूरा करने में कितने ही देशवासियों ने योगदान दिया है। जब सबका प्रयास लगा तो सफलता भी मिली। यही चंद्रयान-3 की सबसे बड़ी सफलता है। इस बार 15 अगस्त के दौरान देश ने सबका प्रयास का सामर्थ्य देखा सभी देशवासियों के प्रयास ने हर घर तिरंगा अभियान को वास्तव में हर मन तिरंगा अभियान बना दिया। इस अभियान के दौरान कई रिकॉर्ड भी बने। देशवासियों ने करोड़ों की संख्या में तिरंगे खरीदे। डेढ़ लाख पोस्ट ऑफिस के जरिए करीब डेढ़ करोड़ तिरंगे बेचे गए। इससे हमारे कामगारों की, बुनकरों की और खासकर महिलाओं की सैकड़ों करोड़ रुपये की आय भी हुई। तिरंगे के साथ सेल्फी पोस्ट करने में भी इस बार देशवासियों ने नया रिकॉर्ड बना दिया। पिछले साल 15 अगस्त तक करीब पांच करोड़ देशवासियों ने तिरंगे के साथ सेल्फी पोस्ट की थी। इस साल ये संख्या 10 करोड़ को भी पार कर गई है। इस समय देश में ‘मेरी माटी, मेरा देश’ देशभक्ति की भावना को उजागर करने वाला अभियान जोरों पर है।सितंबर के महीने में देश के गांव-गांव में, हर घर से मिट्टी जमा करने का अभियान चलेगा। देश की पवित्र मिट्टी हजारों अमृत कलश में जमा की जाएगी। अक्टूबर के अंत में हजारों अमृत कलश यात्रा के साथ देश की राजधानी दिल्ली पहुंचेंगे। इस मिट्टी से ही दिल्ली में अमृत वाटिका का निर्माण होगा। मुझे विश्वास है, हर देशवासी का प्रयास इस अभियान को भी सफल बनाएगा। इस बार मुझे कई पत्र संस्कृत भाषा में मिले हैं | इसकी वजह यह है कि सावन मास की पूर्णिमा, इस तिथि को विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है। सर्वेभ्य: विश्व-संस्कृत-दिवसस्य हार्द्य: शुभकामना: आप सभी को विश्व संस्कृत दिवस की बहुत-बहुत बधाई। हम सब जानते हैं कि संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है | इसे कई आधुनिक भाषाओं की जननी भी कहा जाता है | संस्कृत अपनी प्राचीनता के साथ-साथ अपनी वैज्ञानिकता और व्याकरण के लिए भी जानी जाती है। भारत का कितना ही प्राचीन ज्ञान हजारों वर्षों तक संस्कृत भाषा में ही संरक्षित किया गया है। योग, आयुर्वेद और दर्शन शास्र जैसे विषयों पर रिसर्च करने वाले लोग अब ज्यादा से ज्यादा संस्कृत सीख रहे हैं। कई संस्थान भी इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। संस्कृत भारती’ लोगों को संस्कृत सिखाने का अभियान चलाती है | इसमें आप 10 दिन के ‘संस्कृत संभाषण शिविर’ में भाग ले सकते हैं। मुझे खुशी है कि आज लोगों में संस्कृत को लेकर जागरूकता और गर्व का भाव बढ़ा है। इसके पीछे बीते वर्षों में देश का विशेष योगदान भी है। जैसे तीन संस्कृत डीम्ड यूनिवर्सिटीज को 2020 में सेंट्रल यूनिवर्सिटीज बनाया गया। अलग-अलग शहरों में संस्कृत विश्वविद्यालयों के कई कॉलेज और संस्थान भी चल रहे हैं। आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में संस्कृत केंद्र काफी पॉपुलर हो रहे हैं। जब हम अपनी मातृभाषा से जुड़ते हैं तो हम सहज रूप से अपनी संस्कृति से जुड़ जाते हैं, अपने संस्कारों से जुड़ जाते हैं, अपनी परंपरा से जुड़ जाते हैं, अपने चिर पुरातन भव्य वैभव से जुड़ जाते हैं। ऐसे ही भारत की एक और मातृभाषा है, गौरवशाली तेलुगू भाषा। 29 अगस्त को तेलुगू दिवस मनाया जाएगा। तेलुगू भाषा के साहित्य और विरासत में भारतीय संस्कृति के कई अनमोल रत्न छिपे हैं। तेलुगू की इस विरासत का लाभ पूरे देश को मिले, इसके लिए कई प्रयास भी किये जा रहे हैं। चीजों या स्थानों को साक्षात् खुद देखना, समझना और कुछ पल उनको जीना, एक अलग ही अनुभव देता है। कोई समंदर का कितना ही वर्णन कर दे, लेकिन हम समंदर को देखे बिना उसकी विशालता महसूस नहीं कर सकते। कोई हिमलाय का कितना ही बखान कर दे, लेकिन हम हिमालय को देखे बिना उसकी सुंदरता का आकलन नहीं कर सकते। इसलिए ही मैं अक्सर आप सभी से ये आग्रह करता हूं कि जब मौका मिले, हमें अपने देश की सुंदरता और विविधता को जरूर देखने जाना चाहिए। अक्सर हम एक और बात भी देखते हैं। हम भले ही दुनिया का कोना-कोना छान लें, लेकिन अपने ही शहर या राज्य की कई बेहतरीन जगहों और चीजों से अनजान होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि लोग अपने शहर के ही ऐतिहासिक स्थलों के बारे में ज्यादा नहीं जानते। डेयरी सेक्टर हमारे देश के सबसे महत्वपूर्ण सेक्टरों में से एक है। हमारी माताओं और बहनों के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाने में तो इसकी बहुत अहम भूमिका रही है। पर्व-उल्लास के समय हमें वोकल फार लोकल के मंत्र को भी याद रखना है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ ये अभियान हर देशवासी का अपना अभियान है। जब त्योहार का माहौल है तो हमें अपनी आस्था के स्थलों और उसके आसपास के क्षेत्र को स्वच्छ तो रखना ही है,

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30 जुलाई को प्रसारित किया था ‘मन की बात’ का 103वां संस्करण
पिछले महीने 30 जुलाई को मन की बात का 103वां संस्करण प्रसारित किया गया था। इस दौरान पीएम मोदी ने पहली बार ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान का जिक्र किया था।

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