पितृपक्ष में हर दिन बस ये 6 काम कर लें, पितृदोष से पाएंगे मुक्ति होगी तरक्की

Exclusive Latest आस्था

प्रमोद मिश्रा, 28 सितंबर 2023

29 सितंबर दिन शुक्रवार से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। हिंदू धर्म में इन दिनों का खास महत्व है, पितृपक्ष में पितरों की अराधना और श्राद्धकर्म किए जाते हैं, ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितृदोष से मुक्ति भी मिलती है। इस बार पितृपक्ष 29 अक्टूबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर को समाप्त हो जाते हैं। वैसे तो सच्ची श्रृद्धा और समर्पण का भाव होने से पितृ प्रसन्न होते हैं लेकिन हर दिन कुछ बातों का अगर ध्यान रखेंगे तो जीवन में सुख शांति का मार्ग प्रशस्त होगा और पितृदोष से मुक्ति मिलेगी। आइए जानते हैं पितृपक्ष में ऐसे कौन से 6 काम हैं, जिनके करने से जीवन में तरक्की होगी और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
पितृपक्ष में करें जल अर्पण

पितृपक्ष में हर दिन तर्पण करना चाहिए लेकिन जिनके माता पिता जीवित हैं, उनके लिए तर्पण का नियम लागू नहीं होता है। जिनके माता पिता जीवित हैं, वे हर रोज सुबह पितर और ईष्टदेवों का ध्यान करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करें। वहीं जितने माता पिता जीवित नहीं है या दोनों में से एक नहीं है तो वे हर रोज पितृपक्ष में दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके तर्पण करें। तर्पण हमेशा जल में दूध और तिल मिलाकर करना चाहिए।

 

 

 

पितृपक्ष में हर रोज गाय को चारा और गौ ग्रास खिलाना चाहिए। गौ ग्रास भोजन बनाते समय पहली रोटी गाय को निकालने को कहते हैं, ऐसा करने से देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष में पूरी भावना के साथ गाय को चार खिलाने से श्राद्धकर्म का पूरा फल मिलता है और पितर भी तृप्त होते हैं। पितृपक्ष में गौ ग्रास और हरा चारा खिलाने से पितरों का परिवार पर सदैव आशीर्वाद बना रहता है।

पढ़ें   भरोसे का बजट : बजट को संसदीय सचिव शकुंतला साहू ने बताया ऐतिहासिक, शकुंतला बोली : "महिलाओं के साथ युवाओं को नई ऊंचाई देगा यह बजट"

पितृपक्ष में हर रोज सुबह शाम पितरों के नाम से एक दीप दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जलाना चाहिए। पितृपक्ष में दक्षिण दिशा से ही पितर पृथ्वी लोक पर अपने रिश्तेदारों के यहां आते हैं। साथ ही जिस दिन पितरों का श्राद्धकर्म कर रहे हैं, उस दिन दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अपने पितरों का आह्वान करते हैं।

पितृपक्ष में हर रोज पूरे घर की साफ सफाई के बाद मुख्य द्वार की सफाई करें और गंगाजल से छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा, साथ ही नकारात्मकता और दोषों से मुक्ति मिलेगी। ऐसा करने से आत्मिक शांति मिलेगी और पितृदोष भी दूर होता है। साथ ही पितृपक्ष में हर रोज स्नान करने वाले पानी में भी थोड़ा सा गंगाजल मिला लें।

पितृपक्ष में भूलकर भी किचन या घर के किसी भी कोने पर जूठे बर्तन नहीं रखें और साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान किचन में जूठे बर्तन रखना बहुत अशुभ माना जाता है। रात के समय जूठे बर्तन रखने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और पितृदोष भी लगता है। इसलिए पितृपक्ष के समय घर में जूठे बर्तन नहीं रखने चाहिए।

पितृपक्ष में हर रोज सुबह स्नान करके और रात में सोने से पहले इस मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए। इस मंत्र के जप करने से पितरों का आशीर्वाद पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है।

यह है मंत्र

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्। ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

नोट : यह तमाम जानकारी जनरुचि को ध्यान में रखकर दी जा रही है, ज्योतिष और धर्म के उपाय और सलाहों को अपनी आस्था और विश्वास पर आजमाएं। कंटेंट का उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।

Share