प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 05 अक्टूबर 2023
सतत् विकास लक्ष्य (SDG) के संबंधित राज्य योजना आयोग द्वारा तैयार किये गये ’एसडीजी बेसलाईन एण्ड प्रोग्रेस रिपोर्ट, 2022 छत्तीसगढ़’ का विमोचन आज राज्य योजना आयोग के अध्यक्ष डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम द्वारा योजना भवन, नवा रायपुर में किया गया। रिपोर्ट अनुसार एसडीजी के विभिन्न लक्ष्यों में राज्य द्वारा उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की गई है।
कार्यक्रम में ’एसडीजी बेसलाईन एण्ड प्रोग्रेस रिपोर्ट-2022 छत्तीसगढ़’ पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया गया। जानकारी दी गई कि स्टेट इंडिकेटर फ्रेमवर्क में शामिल 40 इंडिकेटर्स अंतर्गत 2030 का लक्ष्य 2022 में ही हासिल कर लिया गया है। 84 इंडिकेटर्स का 2030 तक का लक्ष्य भी आगामी 2-3 वर्षो में हासिल किया जाना संभावित है।
’’एसडीजी गोल 1 (नो पॉवर्टी)’’ से संबंधित इंडिकेटर के उपलब्ध हुये डाटा के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि इस गोल को आंकलित करने वाले संकेतक ’मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी स्कोर’ (एमपीआई स्कोर) अनुसार राज्य में 40 लाख लोगो को गरीबी रेखा से ऊपर हुए है। जिसमें राज्य की प्रमुख योजनाएं-राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी, मुख्यमंत्री हाट बाजार, शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण योजना, पढ़ई तुहर द्वार इत्यादि का महत्वपूर्ण योगदान रहा। एमपीआई स्कोर मूलतः 12 संकेतको का इंडेक्स है, जो कि पोषण, स्वास्थ्य, जीवन स्तर, शिक्षा एवं वित्तीय समावेशन से संबंधित होते है। संकेतक-’स्वास्थ्य योजना एवं बीमा कवरेज’ में भी छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन बहुत ही अच्छा रहा है। इसमें राज्य की प्रमुख योजना जैसे-खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना, मुख्यमंत्री दवापेटी योजना, मुख्यमंत्री बाल श्रवण एवं हृदय योजना, दाई-दीदी एवं महतारी जतन योजना का महत्वपूर्ण योगदान है।
’एसडीजी गोल 2 (जीरो हंगर)’ – के अंतर्गत उल्लेखनीय प्रगति करने वाले संकेतक ’खाद्य सुरक्षा अधिनियम में शामिल लाभार्थी’ में राज्य का प्रदर्शन उल्लेखनीय है, जिसमें राज्य की प्रमुख योजनाएं – अंत्योदय योजना अंतर्गत 1 रूपए में अनाज वितरण, मुख्यमंत्री सुपोषण योजना, आयोडाईज्ड अमृत नमक, चना एवं शक्कर प्रदाय योजना इत्यादि का महत्वपूर्ण योगदान रहा। संकेतक – ’कृषि में सकल मूल्यवर्धन’ में भी छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन बहुत ही अच्छा रहा है। इसमें राज्य की प्रमुख योजना जैसे – राजीव गांधी किसान न्याय योजना, कृषि बजट में उत्तरोत्तर वृद्धि, अधिकतम फसलो को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाना का मुख्य योगदान है।