बजरमुड़ा कोल माइंस में 300 करोड़ रुपए मुआवजा वितरण में गड़बड़ी, जांच केे लिए पहुंचे कमिश्नर

छत्तीसगढ़

प्रमोद मिश्रा

रायगढ़, 8 दिसंबर 2023। बजरमुडा कोल माइंस के मुंआवजे वितरण मामले में जांच तेज हो गई है, बुधवार की रात को राजस्व विभाग के संचालक रमेश शर्मा सहित राजस्व अफसरों की टीम के साथ आरआई स्तर के 8 अफसरों एवं कर्मचारियों की टीम जांच करने के लिए रायगढ़ पहुंच गई है। यह टीम दो दिनों से कोल माइंस प्रभावित गांव बजरमुड़ा, डोलनारा, करवाही में यह टीम जांच करने के लिए पहुंची है। गुरुवार को इसकी जांच शुरु की गई है। इस टीम आने के बाद गुरुवार को वहां पर स्थानीय स्तर के राजस्व अफसरों ने राजस्व निरिक्षको के 13 लोगों का दल बनाया गया है। कहा जा रहा हैं कि शुक्रवार को भी इसकी जांच की जाएगी। संचालक ने इसके लिए बकायदा बिलासपुर और रायपुर से भी राजस्व निरिक्षको जांच में लेकर आया है, रायगढ़ के पटवारियों को भी शामिल किया गया है।
दरअसल वहां पर छत्तीसगढ़ पॉवर जनरेशन को आबंटित है कंपनी को तमनार ब्लॉक के बजरमुड़ा में कोलमाइंस का आबंटन हुआ है, तीन गांवों में करीब 300 करोड से ज्यादा का मुआवजे का वितरण किया गया है। इसमें व्यापक तौर पर गड़बडिय़ां करने की बात सामने आई है, तीनों गांवों में करीब 129 हैक्टयर जमीन को कोल माइंस के लिए लिया गया है, हालांकि अभी वहां पर बजरमुडां में माइंस से दो साल से प्रोडक् शन दिया गया है।
व्यापक गड़बडिय़ों को देखते हुए किसानों का कहना हैं कि कुछ इलाकों में में मुआवजे का पैसा भुगतान नहीं हो पाया है और बजरमुडा में किसानों का मुआवजे का वितरण किया जा चुका है, इसे 2020-2021 में मुआवजे का वितरण हुआ है।
इस तरह घपला किया गया- यहां पर मुआवजा वितरण में व्यापक गड़बडिय़ां सामने आई है, जिसमें एक फसली जमीन को दो फसली जमीन बताकर इसमें व्यापक गडबडिय़ां करने के साथ जिस जमीन पर बोर खनन नहीं हुआ था, वहां पर बोर बता दिया गया। वही मुआवजे पाने के लिए पतली दीवार बनाने के साथ आरआई, पटवारियों द्वारा मुआवजे का आंकलन अधिक कर की बड़ी बड़ी बिल्डिंग निर्माण कराकर व्यापक गड़बडिय़ां की गई है। कृषक जमीन पर कॉम्लेक्स में निर्माण करा दिया गया है, मुआवजे के लिए गड़बडिय़ा सामने आने के बाद सामाजिक संगठनों क े लोगों और कुछ लोग इसकी शिकायत मंत्रालय स्तर पर राजधानी में की गई थी। इसके बाद ठोस शिकायत किया गया था, जिसमें मंत्रालय से संज्ञान लिया हैं कि कमेटी बनाया गया है। राजस्व विभाग के आयुक्त को इसके जांच जिम्मेदारी सौपी है, कहा जा रहा हैं उस समय के तत्कालिन एसडीएम और तहसीलदार सहित राजस्व कर्मचारियों, अफसरों की संलिप्ता है। अब इसकी जांच व्यापक तौर शुरु कर दिया गया है।

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