‘आर्टिकल 370’ रिव्यू: यामी गौतम की फिल्म है इमोशन, पॉलिटिक्स और देशभक्ति का पावर डोज

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मनोरंजन डेस्क | आर्टिकल 370′ का ट्रेलर देखने के बाद सबसे पहली बात दिमाग में यही आई थी कि सरकार के फैसलों की गाथा गाने वाली एक और फिल्म देखनी पड़ेगी! और ऐसा फील होने में अब दर्शकों की कोई खास गलती भी नहीं है, क्योंकि पिछले कुछ समय में इस तरह की इतनी फिल्में आ चुकी हैं कि बॉलीवुड खुद अपना एक ‘राजनीति शास्त्र विभाग’ बना सकता है.

खैर, भारी रिस्क के साथ फिल्म देखी गई और पाया गया कि अगर ‘पॉलिटिकल फैसले पर बेस्ड फिल्म’ वाली बात को थोड़ा साइड रखकर देखा जाए तो ‘आर्टिकल 370’ एंगेज करने में तो कामयाब होने वाली फिल्म है. प्रोड्यूसर आदित्य धर की ये फिल्म बिल्कुल उसी जोन में ऑपरेट करती है, जिसमें उनकी खुद की डायरेक्ट की हुई ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ थी. ‘आर्टिकल 370’ सरकार के एक ऐतिहासिक फैसले, उस फैसले को ग्राउंड पर लागू करने वाले लोगों, फैसले के पीछे की प्लानिंग-प्लॉटिंग और बिना किसी को कानोंकान खबर हुए उसके कामयाब होने को सेलिब्रेट करती है.

जैसे ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ खबरों में बहुत पॉपुलर चीज थी, मगर कैसे हुई, किस तरह हुई ये किसी को नहीं पता था. विक्की कौशल की ‘उरी’ आई और लोगों के इमेजिनेशन को वो तस्वीरें मिल गईं, जो खबरों में छपे शब्दों को रियलिटी की तरह दिखा रही थीं. हालांकि थी वो एक डायरेक्टर की इमेजिनेशन ही. इसी तरह ‘आर्टिकल 370’ भी ऑडियंस को एक और ‘ऐतिहासिक’ घटना के विजुअल्स देने का काम करती है.

बुरहान वानी की कहानी से शुरू होती कश्मीर की कहानी
यामी गौतम स्टारर इस फिल्म को डायरेक्टर आदित्य सुहास जांभले ने चैप्टर वाले स्टाइल में ट्रीट किया है. ये चैप्टर कश्मीर के बुरहान वानी एपिसोड से शुरू होते हैं और पुलवामा हमले से होते हुए आगे बढ़ते हैं. आखिरकार ये वहां पहुंचते हैं, जहां भारत सरकार का एक फैसला कश्मीर की तकदीर बदलने के लिए तैयार है.

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आर्टिकल 370′ में यामी गौतम (क्रेडिट: यूट्यूब)
‘आर्टिकल 370’ शुरू होती है इंटेलिजेंस ऑफिसर जूनी हकसार (यामी गौतम) के एक मिशन से, जिसमें उनके निशाने पर बुरहान वानी है. जूनी का ऑपरेशन कश्मीर में बवाल खड़ा कर देता है, जिसके बाद उसे दिल्ली बुला लिया जाता है. इधर दिल्ली में पीएमओ की हाई रैंक ऑफिशियल राजेश्वरी स्वामीनाथन कश्मीर के हालात को लेकर एक्टिव हैं. वो सीधा प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के ‘कश्मीर विजन’ को रियलिटी में लाने पर काम कर रही हैं. फिल्म में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के नाम नहीं लिए गए हैं, मगर दोनों किरदारों को देखकर ही आप समझ जाते हैं कि ये कौन हैं.

 

 

आर्टिकल 370′ में अरुण गोविल, किरण कर्मारकर (क्रेडिट: यूट्यूब)
राजेश्वरी अपने प्लान को आगे बढ़ाने के लिए जूनी को वापस कश्मीर भेजती हैं. इस बार नई पावर के साथ पहुंची जूनी का मिशन है कश्मीर में एंटी-इंडिया गतिविधियों और लोगों को काबू करना ताकि इधर सरकार अपने फैसले बिना चिंता के ले सके. और फिल्म की एकदम शुरुआत में ही ये साफ़ हो जाता है कि जूनी इस तरह के काम में किसी भी तरह ढीली नहीं पड़ने वाली.

एक तरफ आपको जूनी की नजर से कश्मीर के हालात, वहां की पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी पर कमेंट्री मिलती है. दूसरी तरफ, राजेश्वरी दिल्ली की राजनीति का जायका आप तक पहुंचाती हैं. सेकंड हाफ में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की एंट्री के बाद फिल्म का माहौल ही बदल जाता है. ऐसा लगता है कि सारा फोकस उनपर पहुंच गया है. लेकिन ये तो होना ही था, आखिरी वो किरदार ही ऐसे हैं!

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आर्टिकल 370′ में प्रियामणि (क्रेडिट: यूट्यूब)
भारत के गृहमंत्री अमित शाह की एक पार्लियामेंट स्पीच को जिस तरह रीक्रिएट किया गया है, वो फिल्म के नैरेटिव में काफी असरदार है. किरण कर्मारकर ने अपने जानदार काम से इस रोल में जान फूंक दी है. इसी तरह अरुण गोविल ने प्रधानमंत्री के किरदार को बेहतरीन संजीदगी के साथ पेश किया है.

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