कांग्रेस की पहली लिस्ट : पिछड़ा वर्ग के चार चेहरों के साथ रायपुर से सामान्य वर्ग का चेहरा, SC के लिए आरक्षित एकमात्र सीट पर शिव डहरिया पर जताया पार्टी ने भरोसा, पढ़ें पिछले चुनाव में कितने वोटों का था अंतर, सभी सीटों पर क्या है जातिगत समीकरण?

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 08 मार्च 2024

छत्तीसगढ़ में भाजपा के बाद अब कांग्रेस ने भी अपने 11 में से 6 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है । इस लिस्ट में जहां पार्टी ने सामान्य वर्ग से विकास उपाध्याय को रायपुर लोकसभा से प्रत्याशी बनाया है, तो पिछड़ा वर्ग से चार सीटों पर पार्टी ने दांव खेला है । जिसमें कोरबा से सांसद ज्योत्सना महंत को पार्टी ने फिर से चुनावी मैदान में उतारा है, तो राजनांदगांव सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर पार्टी ने भरोसा जताया है । वहीं महासमुंद सीट से पूर्व मंत्री और सांसद ताम्रध्वज साहू पर पार्टी ने भरोसा जताया है । दुर्ग सीट से भी राजेंद्र साहू पर कांग्रेस पार्टी ने दांव खेला है । वहीं प्रदेश की एकमात्र आरक्षित सीट जांजगीर – चांपा से डॉक्टर शिव डहरिया पर पार्टी ने भरोसा जताया है । ऐसे में अब सिर्फ 5 सीटों पर पार्टी ने फैसला नहीं लिया है, जिसमें बस्तर (ST), कांकेर (ST), रायगढ़ (ST), सरगुजा (ST) और बिलासपुर (सामान्य सीट) शामिल है ।

 

 

किनके – किनके बीच मुकाबला?

छत्तीसगढ़ की 6 सीटों पर अब यह तय हो गया है कि इस बार कौन – कौन उम्मीदवार किसके – किसके खिलाफ लड़ेंगे । रायपुर की सामान्य सीट में भाजपा से बृजमोहन अग्रवाल और कांग्रेस से विकास उपाध्याय आमने – सामने होंगे । वहीं दुर्ग लोकसभा सीट से बीजेपी से विजय बघेल और कांग्रेस से राजेंद्र साहू के बीच मुकाबला होगा । महासमुंद से कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने OBC चेहरे पर दांव खेला है, जिसमें बीजेपी से पूर्व विधायक रूपकुमारी चौधरी पर पार्टी ने दांव खेला है, तो कांग्रेस ने पूर्व कैबिनेट मंत्री ताम्रध्वज साहू पर भरोसा जताया है । राजनांदगांव सामान्य लोकसभा सीट से जहां बीजेपी ने ब्राम्हण संतोष पाण्डेय पर भरोसा जताया है, तो कांग्रेस ने ओबीसी दांव खेलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भरोसा जताया है । कोरबा सामान्य लोकसभा सीट से भी जहां बीजेपी ने ब्राम्हण सरोज पांडे को मैदान में उतारा है वहीं कांग्रेस ने OBC चेहरे के साथ सांसद ज्योत्सना महंत पर दांव खेला है ।

क्या है जातिगत समीकरण?

जिन 6 सीटों पर दोनों पार्टियों ने अपने – अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है । उसमें 5 सीटें सामान्य वर्ग की तो एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है । सबसे पहले आरक्षित सीट जांजगीर – चांपा की बात करें तो 63.39 फीसदी वाले लोकसभा सीट पर 25 फीसदी मतदाता एस सी वर्ग से आते हैं, तो एस टी वर्ग के मतदाताओं की संख्या 11.6 फीसदी है । इस सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या 88.5 फीसदी है । 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से मतदाता की संख्या 18 लाख 95 हजार 232 थी । 2019 के लोकसभा चुनाव में 65.5 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने मत का प्रयोग किया था । इस लोकसभा सीट से बीजेपी के गुहाराम अजगले ने 2019 के चुनाव में कांग्रेस के रवि भारद्वाज को शिकस्त दी थी । बीजेपी का वोट शेयर जहां 46.3 फीसदी था, तो वहीं कांग्रेस का वोट शेयर 39.6 फीसदी था । बसपा ने 10.6 फीसदी वोट अर्जित किया था । अब बीजेपी से श्रीमती कमलेश जांगड़े और कांग्रेस से शिव डहरिया के बीच मुकाबला है ।

कोरबा लोकसभा सीट से बीजेपी ने ब्राम्हण चेहरे सरोज पांडे को चुनावी मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस ने OBC वर्ग से आने वाली ज्योत्सना महंत को उम्मीदवार बनाया है । इस सीट पर जातिगत समीकरण देखें तो एस सी वर्ग के मतदाता 9.2 फीसदी है । एस टी वोटरों का प्रतिशत 44.5 है । मुस्लिम वोटर तकरीबन 3.5 फीसदी है । ग्रामीण वोटर इस सीट पर 68.3 फीसदी है, तो शहरी वोटर 31.7 फीसदी हैं । इस सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 46.8 फीसदी वोट पाया था, तो बीजेपी ने 44.5 फीसदी वोट अपने नाम किया था । वहीं गोंगपा ने भी 3.3 प्रतिशत वोट अपने नाम किया था ।

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रायपुर लोकसभा सीट की बात करें तो 64.71 फीसदी साक्षरता वाले लोकसभा सीट में एस सी वोटर 17.2 फीसदी, एस सी वोटर 6.1 फीसदी मुस्लिम वोटर 4.2 फीसदी हैं । वहीं ग्रामीण मतदाताओं का प्रतिशत 46.5 है, तो शहरी मतदाता 53.5 फीसदी है । पिछले लोकसभा चुनाव में सुनील सोनी ने कांग्रेस के प्रमोद दुबे को एकतरफा मात दी थी ।

दुर्ग लोकसभा की बात करें तो 61.28 फीसदी साक्षरता दर वाले लोकसभा सीट में एस सी वोटर 15.4 फीसदी, एस टी वोटर 5.5 फीसदी, मुस्लिम वोटर 3.5 फीसदी हैं । साहू-कुर्मी की सियासत में बनते बिगड़ते हैं समीकरण दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरणों को देखा जाए तो सबसे बड़ी आबादी साहू समाज की है. तीस से पैंतीस प्रतिशत वोटर इसी समाज से हैं. कुर्मी वोटर लगभग 22 प्रतिशत हैं. ऐसे में पंद्रह प्रतिशत यादव और सतनामी समाज मिलकर कई बार लोगों के अनुमानों को गलत साबित कर देते हैं । पिछले लोकसभा चुनाव में विजय बघेल ने प्रतिमा चंद्राकर को शिकस्त दी थी ।

महासमुंद लोकसभा सीट से मुकाबला काफी दिलचस्प होगा क्योंकि यहां पर कांग्रेस ने साहू उम्मीदवार को मैदान में उतारा है । महासमुंद लोकसभा क्षेत्र की कुल आबादी में लगभग 51 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग हैं। जिनमें से लगभग 18 से 19 प्रतिशत की आबादी साहू जाति है। वहीं इस क्षेत्र में 29 फीसदी अनुसूचित जनजाति और लगभग 13 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है। पिछले चुनाव में चुन्नीलाल साहू ने धनेंद्र साहू को शिकस्त दी थी ।

नोट ( सभी आंकड़े 2011 की जनगणना के अनुसार लिए गए हैं)

राजनांदगांव सीट की बात करें तो 8 विधानसभा क्षेत्र में साहू समाज का वोट बैंक साढ़े 4 से 5 लाख के बीच है। संख्या बल अधिक होने से ही साहू समाज की ओर से राजनीतिक दलों से लोकसभा टिकट की मांग की गई थी और कांग्रेस ने समाज की मांग पर गौर करते हुए पिछड़ा कार्ड खेल दिया। हालांकि साहू समाज के सभी लोग कांग्रेस से जुड़े हुए नहीं हैं और भाजपा समर्थित सदस्य भी हैं। संख्या बल पर गौर करें तो दोनों ही दलों को मशक्कत करना पड़ेगी। हालंकि पिछले लोकसभा चुनाव में संतोष पाण्डेय ने भोलाराम साहू को शिकस्त दी थी ।

किस लोकसभा में क्या समीकरण?

रायपुर लोकसभा सीट की बात करें तो इस बार तो रायपुर लोकसभा की नौ विधानसभा सीटों में से आठ पर भाजपा का कब्जा है और एकमात्र भाटापारा की सीट पर कांग्रेस का विधायक है। ऐसे में कांग्रेस की चुनौतियां और बढ़ गई है। इसी बीच भाजपा ने इस बार रायपुर दक्षिण सीट से आठ बार के विधायक बृजमोहन को मैदान में उतारा है। भाजपा में बड़े कद का नेता होने के दृष्टिकोण से कांग्रेस के लिए उनके स्तर का प्रत्याशी चुनना सरल नहीं दिखाई नहीं पड़ रहा है। कुल मिलाकर, इस बार भी रायपुर लोकसभा सीट जीतना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।

 

दुर्ग लोकसभा में दुर्ग शहर(बीजेपी), दुर्ग ग्रामीण(बीजेपी), भिलाई नगर(कांग्रेस)वैशाली नगर(बीजेपी), पाटन(कांग्रेस), अहिवारा(बीजेपी), नवागढ़(बीजेपी), बेमेतरा(बीजेपी) व साजा(बीजेपी) है । साहू और कुर्मी चेहरे के बीच में लड़ाई से मामला रोचक होगा ।

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महासमुंद सीट में कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है । महासमुंद लोकसभा के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से चार विधानसभा क्षेत्रों ( सरायपाली, खल्लारी, धमतरी और बिन्द्रानवागढ़) में कांग्रेस का कब्जा है, वहीं चार विधानसभा क्षेत्रों (महासमुंद, बसना, राजिम और कुरूद) में भाजपा के विधायक हैं । महासमुंद लोकसभा के इन आठों विधानसभा में कांग्रेस को 9483 मतों की लीड विधानसभा चुनावों में मिली थी । रूपकुमारी चौधरी का विश्वास है कि मोदी की गारन्टी के चलते फिर महासमुंद लोकसभा में भारी मतों से भाजपा विजय हासिल करेगी, लेकिन अगर साहू फैक्टर चला तो बीजेपी की राह आसान नहीं होगी ।

राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र आठ विधानसभाओं से मिलकर बनाया गया है। इसमें राजनांदगांव (बीजेपी रमन सिंह), डोंगरगांव (कांग्रेस दलेश्वर साहू), खुज्जी (कांग्रेस भोलाराम साहू), मोहला- मानपुर (कांग्रेस इंद्रशाह मंडावी), डोंगरगढ़ (कांग्रेस हर्षिता बघेल), खैरागढ़ ( कांग्रेस यशोदा वर्मा), कवर्धा (बीजेपी विजय शर्मा) और पंडरिया (बीजेपी भावना वोहरा) विधायक हैं।

कोरबा लोकसभा सीट की बात करें तो असली मुकाबला चरणदास महंत और सरोज पांडे के बीच है । कोरबा लोकसभा अंतर्गत आठ विधानसभा रामपुर, कोरबा, कटघोरा, पाली- तानाखार, मरवाही, भरतपुर- सोनहत, बैकुंठपुर व मनेन्द्रगढ़ हैं। इनमें रामपुर विधानसभा सीट में ही कांग्रेस के फूलसिंह राठिया विधायक हैं। जबकि पाली-तानाखार विधानसभा सीट से गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी के तुलेश्वर सिंह मरकाम विधायक है। शेष छह विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस को इस बार कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

जांजगीर चांपा लोकसभा में विधानसभा की 8 सीटें है जिनमें सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है । 2009 के लोकसभा चुनाव में भी शिव डहरिया इस सीट से उम्मीदवार थे, लेकिन 82 हजार के अधिक अंतर से चुनाव हार गए थे ।

 

किस सीट पर कैसा मुकाबला?

रायपुर लोकसभा सीट कर बीजेपी की स्थिति काफी अच्छी है । बृजमोहन अग्रवाल की जीत तय मानी जा रही है ।

अगर बात करें दुर्ग लोकसभा सीट की तो साहू बाहुल वाले लोकसभा क्षेत्र के साथ भूपेश बघेल के खास राजेंद्र साहू को टिकट मिलने से बीजेपी के लिए थोड़ी मुश्किल जरूर हो सकती है ।

राजनांदगांव में अभी तक OBC और सामान्य का मुद्दा हावी नहीं रहा है, लेकिन अगर विधानसभा चुनाव का परफॉर्मेंस कांग्रेस दोहराती है और भूपेश बघेल का चेहरा काम कर जाता है, तो बीजेपी के संतोष पाण्डेय के लिए राह आसान नहीं होने वाली है ।

महासमुंद सीट पर अगर साहू वोटर एक हो गए तो बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है । ताम्रध्वज साहू का सामाजिक दखल काफी अच्छा है और सीट पर कांग्रेस का परफॉर्मेंस भी विधानसभा चुनाव में ठीक रहा है, ऐसे में बीजेपी के लिए यहां भी राह थोड़ी कठिन हो सकती है ।

कोरबा सीट पर सरोज पांडे को बिहारी और बाहरी बताया जा रहा है । कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता अभी से बाहरी और बिहारी के साथ स्थानीय का मुद्दा बनाने में लग गए हैं । अगर दोनों मुद्दे काम कर गए तो बीजेपी के लिए मुश्किलें यहां भी खड़ी हो सकती है ।

जांजगीर लोकसभा सीट पर शिव डहरिया के लिए फायदेमंद बात यह है कि लोकसभा के अंतर्गत आने वाली सभी सीटें कांग्रेस के कब्जे में है । अब अगर विधानसभा का परफॉर्मेंस जारी रहा, तो कांग्रेस के लिए राह आसान है । वहीं बीजेपी प्रत्याशी कमलेश जांगड़े की पहुंच सभी विधानसभा में नहीं है । इसका लाभ भी शिव डहरिया को मिल सकता है ।

 

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