ब्यूरो रिपोर्ट
11 मार्च 2024. दिन सोमवार. भारत के इतिहास में अब ये कोई आम तारीख नहीं रह गई है. ये वो तारीख है, जिसे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी. सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हो गया. गृह मंत्रालय ने सीएए के नियमों को अधिसूचित कर दिया है. जब इसका बिल संसद में लाया गया था, तब इसे लेकर काफी विरोध प्रदर्शन हुआ था. अब आपको सीएए के बारे में हर बात बताते हैं.
11 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन कानून संसद से पास हो गया था. लेकिन नोटिफाई नहीं हो पाया था. इसमें नागरिकता कानून 1955 में संशोधन किया गया, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से उत्पीड़न के कारण भागकर आने वाले अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. इस कानून में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है.
6 साल में दी जाएगी नागरिकता
इन शरणार्थियों को 6 वर्ष के भीतर भारतीय नागरिकता दी जाएगी. संशोधन के जरिए इन शरणार्थियों के देशीकरण के लिए निवास की जरूरत को 11 साल से घटाकर पांच साल कर दिया गया. सबसे बड़ी बात CAA… किसी की नागरिकता छीनने वाला कानून नहीं है…बल्कि ये नागरिकता देने वाला कानून है.
पहली बार कब आया बिल?
मोदी सरकार सबसे पहली बार 2016 में लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल लेकर आई थी. वहां से ये पास हो गया. मगर राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण अटक गया. फिर इसको संसदीय समिति के पास भेजा गया. तब तक 2019 के लोकसभा चुनाव आ गए. पहले से भी ज्यादा प्रचंड बहुमत से मोदी सरकार सत्ता में लौटी. दिसंबर 2019 में इसे दोबारा लोकसभा में पेश किया गया. वहां से पास होने के बाद राज्यसभा से भी पास हो गया. 10 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति ने भी इस पर मुहर लगा दी. लेकिन इसके बाद देश कोरोना महामारी में जकड़ गया.
कैसे करना होगा आवेदन?
सरकार ने CAA को लागू करने के लिए पोर्टल तैयार कर लिया है.
नागरिकता के लिए आवेदन करने और नागरिकता देने की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी.
आवेदन करने वालों को वो साल बताना होगा जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था.
सूत्रों के अनुसार, आवेदन करने वालों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा.
गृह मंत्रालय आवेदन की जांच कर नागरिकता जारी कर देगा.
CAA पर विवाद क्यों?
विपक्षी दल और कुछ मुस्लिम संगठन इस कानून के विरोध में हैं. उनका आरोप है कि मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है साथ ही ये संविधान के अनुच्छेद-14 और समानता के अधिकार का उल्लंघन है. 3 देशों के मुस्लिमों को भी नागरिकता की मांग की जा रही है.
अब तक कैसे मिलती रही नागरिकता?
कानून कहता है कि अगर किसी को नागरिकता चाहिए तो कम से कम 11 बरस तक भारत में रहना जरूरी है. लेकिन नए कानून में तीन देशों से आए गैर-मुस्लिमों को 11 नहीं बल्कि 6 साल के भीतर ही नागरिकता दे दी जाएगी. जबकि दूसरे देशों से आए लोगों को भारत में 11 साल का समय पूरा करना होगा, फिर वह चाहें किसी भी धर्म या समुदाय के हों.
इस कानून से लागू होने के बाद क्या होगा?
मोदी सरकार का कहना है कि इस कानून का मकसद पुनर्वास और नागरिकता से जुड़ी कानूनी रुकावटों को दूर करना है. जो गैर-मुस्लिम दशकों से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक प्रताड़ना झेल रहे हैं, उनको सम्मानजनक जीवन देना.
सरकार ने कहा कि नागरिकता अधिकार से उनकी भाषिक, सांस्कृतिक और समाजिक पहचान की रक्षा होगी. साथ ही व्यवसायिक, आर्थिक, फ्री मूवमेंट, संपत्ति खरीदने जैसे अधिकार सुनिश्चित होंगे.
क्या किसी की नागरिकता जाएगी?
सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है, उसके मुताबिक, CAA नागरिकता देने का कानून है. इससे किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी, भले ही वो किसी भी धर्म का हो. यह सिर्फ उन लोगों के लिए है, उनको बरसों तक उत्पीड़न सहना पड़ा और उनके पास भारत के अलावा दुनिया में और कोई जगह नहीं है.
सरकार ने कहा, भारत का संविधान हमें यह अधिकार देता है कि मानवतावादी दृष्टिकोण से धार्मिक शरणार्थियों को मूलभूल अधिकार मिले और ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सके.