लोकसभा चुनाव में भाजपा का खुला खाता : सूरत में निर्विरोध जीता BJP कैंडिडेट, कांग्रेस ने कहा- ये मैच फिक्सिंग

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ब्यूरो रिपोर्ट

सूरत, 22 अप्रैल 2024|लोकसभा चुनाव के बीच भारतीय जनता पार्टी के लिए गुजरात से अच्छी खबर आई है. सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने के बाद बाकी बचे 8 उम्मीदवारों ने भी अपने नाम वापस ले लिए हैं, जिसके बाद बीजेपी की निर्विरोध जीत गए हैं. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी का खाता भी खुल गया है. यहां से भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल हैं. वहीं कांग्रेस ने इस पर सवाल उठते हुए कहा कि ये मैच फिक्सिंग है.

दरअसल, सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस के कैंडिडेट निलेश कुम्भानी चुनाव अधिकारी के समक्ष अपने तीन में से एक भी प्रस्तावक को मौजूद नहीं रख पाए थे जिसके बाद चुनाव अधिकारी ने निलेश कुम्भानी का नामांकन फॉर्म रद्द कर दिया था. बीजेपी ने कांग्रेस के कैंडिडेट निलेश कुम्भानी के फॉर्म में उनके तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर को लेकर सवाल उठाए थे.

 

 

 

कांग्रेस ने बताया मैच फिक्सिंग

वहीं कांग्रेस ने नामांकन खारिज का आरोप सरकार पर मढ़ दिया है. कांग्रेस ने कहा कि सरकार की धमकी के सामने सब डरे हुए हैं. कांग्रेस के नेता और एडवोकेट बाबू मांगुकीया ने कहा हमारे तीनों प्रस्तावकों का अपहरण हुआ है, चुनाव अधिकारी को अभी फॉर्म पर हस्ताक्षर हुए हैं या नहीं, इसकी नहीं बल्कि अपहरण की जांच करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हस्ताक्षर टेली किए बगैर फॉर्म रद्द करना गलत है, प्रस्तावकों के हस्ताक्षर सही हैं या गलत उसकी जांच के बगैर फॉर्म रद्द करना गलत है.

वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे मैच फिक्स करार दिया है. उन्होंने एक्स पर लिखा, “लोकतंत्र खतरे में है. आप कालक्रम समझिए. सूरत जिला चुनाव अधिकारी ने सूरत लोकसभा के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार नीलेश कुम्भानी का नामांकन “तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर के सत्यापन में विसंगतियों” के कारण खारिज कर दिया. समान आधार पर, अधिकारियों ने सूरत से कांग्रेस के स्थानापन्न उम्मीदवार सुरेश पडसाला के नामांकन को खारिज कर दिया. कांग्रेस पार्टी बिना उम्मीदवार के रह गई है. बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल को छोड़कर बाकी सभी उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया. 7 मई 2024 को मतदान से लगभग दो सप्ताह पहले 22 अप्रैल, 2024 को सूरत लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार को “निर्विरोध निर्वाचित” घोषित किया गया. मोदी के अन्य काल में एमएसएमई मालिकों और व्यवसायियों के संकट और गुस्से ने भाजपा को इतनी बुरी तरह से डरा दिया है कि वे सूरत लोकसभा को “मैच-फ़िक्स” करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसे उन्होंने 1984 के लोकसभा चुनावों के बाद से लगातार जीता है! हमारे चुनाव, हमारा लोकतंत्र, बाबासाहेब अम्बेडकर का संविधान – सभी एक पीढ़ीगत खतरे में हैं. यह हमारे जीवनकाल का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव है!”

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प्रस्तावकों ने दिया हलफनामा- हमारे हस्ताक्षर नहीं

वहीं निलेश कुम्भानी के प्रस्तावक में उनके बहनोई, भांजे और भागीदार के हस्ताक्षर होने का दावा किया गया था लेकिन तीनों प्रस्तावकों ने चुनाव अधिकारी के सामने कल एफिडेविट कर कहा था कि निलेश कुम्भानी के फॉर्म में उनके हस्ताक्षर नहीं है, जिसके बाद से तीनों प्रस्तावक गायब हो गए.

चुनाव अधिकारी ने कांग्रेस के कैंडिडेट निलेश कुम्भानी के प्रस्तावक उनके बहनोई जगदीश सावलिया, उनके भांजे ध्रुविन धामेलिया और भागीदार रमेश पोलरा के निवेदन का वीडियो रिकॉर्डिंग भी किया था. प्रस्तावकों के दावे के बाद चुनाव अधिकारी ने जवाब देने के लिए कांग्रेस कैंडिडेट निलेश कुम्भानी को एक दिन का वक्त दिया था. कांग्रेस के कैंडिडेट निलेश कुम्भानी अपने एडवोकेट के साथ चुनाव अधिकारी को जवाब देने पहुंचे थे, लेकिन तीन में से एक भी प्रस्तावक मौजूद नहीं रहे. बता दें कि, देश के पूर्व पीएम मोरारजी देसाई 5 बार गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से सांसद रहे थे, लेकिन साल 1989 से सूरत लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है.

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