प्रमोद मिश्रा
भुवनेश्वर, 5 जून 2024
ओडिशा पर पिछले 24 साल से एकछत्र राज कर रहे नवीन पटनायक ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी इस तरह से विदाई होगी. ढाई दशक तक जिस राज्य में उन्होंने ठाठ से राज किया, वहीं पर बेआबरू होकर उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा. उनकी पार्टी न केवल राज्य में लोकसभा चुनाव हार गई, बल्कि असेंबली का चुनाव भी गंवा बैठी. इतना ही नहीं नहीं, खुद सीएम नवीन पटनायक एक सीट से असेंबली चुनाव हार गए.
भाजपा ने ओडिशा में नवीन पटनायक की 24 साल पुरानी पकड़ को खत्म कर दिया है. भाजपा ने ओडिशा की 78 सीटों पर जीत दर्ज की. दूसरी ओर, बीजू जनता दल (BJD) ने 51 सीटों पर जीत दर्ज की है. ओडिशा में कांग्रेस ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की है. कांग्रेस यहां तीसरे स्थान पर रही.
पहली बार जीती भाजपा
यह पहली बार है जब भाजपा ओडिशा में 147 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए जरूरी 74 से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही है. अब इस तटीय राज्य में भाजपा सरकार बनाएगी. इसी के साथ यहां नवीन पटनायक का 25 साल पुराना कार्यकाल खत्म हो जाएगा.
चार चरणों में हुए चुनाव
ओडिशा में 147 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव चार चरणों में हुए थे. 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून. राज्य में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ-साथ हुए थे. 2019 के लोकसभा चुनावों में, बीजेडी 112 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. भाजपा 23 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, उसके बाद कांग्रेस 9 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही.
सभी सीटों पर लडी भाजपा
इस बार बीजेडी ने सभी 147 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि मनमोहन सामल की कयादत वाली भाजपा ने भी सभी 147 सीटों पर चुनाव लड़ा. शरत पटनायक के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 145 सीटों पर चुनाव लड़ा. ओडिशा में भाजपा और बीजेडी, जो कि पूर्व सहयोगी थे, के बीच एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा ने अपना हमला नवीन पटनायक के स्वास्थ्य, उनके सहयोगी वीके पांडियन के गैर-ओडिया होने और ओडिया गौरव के मुद्दे को लेकर केंद्रित किया. दूसरी तरफ, बीजेडी ने अपने अभियान को नवीन पटनायक सरकार के कल्याण कार्यों और योजनाओं के इर्द-गिर्द केंद्रित किया.