रांची, 30 अगस्त 2024
झारखंड में आज बड़ा घटनाक्रम देखने को मिलेगा। क्योंकि हेमंत सोरेन के करीबी और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री आज भाजपा में शामिल होंगे। चंपई सोरेन ने हाल ही में JMM से नाता तोड़ लिया था। हाल ही में अमित शाह से मुलाकात के बाद असम के सीएम हिमंत सरमा ने जानकारी दी थी कि वो बीजेपी की सदस्यता लेंगे। जिसके बाद चंपई सोरेन ने बीजेपी का रुख करने की वजह बताई थी और JMM से इस्तीफा दे दिया था।
चंपई ने अपने इस्तीफे में उन्होंने शिबू सोरेन को लेकर लिखा था कि पार्टी रास्ते से भटक चुकी है और ऐसा कभी सोचा था कि JMM से इस्तीफा देना पड़ेगा। सीएम पद से हटाए जाने के बाद जब चंपई सोरेन ने अपने सारे पत्ते खुलकर स्पष्ट किए थे, तब हेमंत सोरेन कैंप की तरफ से आए पहले रिएक्शन में कहा गया था कि यह हमारे लिए बड़ी खबर है, क्योंकि चंपई सोरेन अब एक्पोज हो चुके हैं। अगर वह निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो हमारे लिए कठिनाई होती, क्योंकि वो जेएमएम के वोट शेयर में सेंध लगा सकते थे।
हालांकि राज्य के सियासी धड़ों की बात करें तो यहां चंपई सोरेन के बीजेपी में जाने पर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। कुछ नेताओं का मानना था कि यह जेएमएम को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि चंपई सोरेन पूरी कोल्हान डिवीजन में अकेले प्रभावशाली नेता हैं। इस डिवीजन में तीन जिले – पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां शामिल हैं। यहां कुल 14 विधानसभा सीटें हैं।
रांची में एक नेता ने कहा था कि मेरी राय में चंपई का अकेले चुनाव लड़ना ज़्यादा समझदारी भरा होता। इस तरह से उन्हें आदिवासियों के बीच ज़्यादा समर्थन मिलता, जो इस समय बीजेपी के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, हिमंत सरमा विधानसभा चुनावों में BJP के नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए चंपई सोरेन का इस्तेमाल करेंगे, जो मौजूदा JMM गठबंधन द्वारा आदिवासी बहुल संथाल परगना क्षेत्र में कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों के तुष्टिकरण के खिलाफ है।
चंपई सोरेन के बारे में 10 बड़ी बातें
- चंपई सोरेन का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जो खेती-किसानी में गहराई से जुड़ा हुआ था। उन्होंने एक सरकारी स्कूल में 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की।
- सोरेन की राजनीतिक यात्रा 1990 के दशक में शुरू हुई, जो बिहार से अलग एक अलग राज्य की मांग करने वाले झारखंड आंदोलन के साथ मेल खाती है।
- राजनीति में प्रवेश करने से पहले चंपई सोरेन झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के एक सुदूर गांव में अपने पिता के साथ कृषि गतिविधियों में लगे हुए थे। चंपई सोरेन की शादी कम उम्र में ही हो गई थी और उनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं।
- झारखंड आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी और मजबूत वकालत ने उन्हें 1990 के दशक में एक अलग राज्य के निर्माण की लंबी लड़ाई में उनके योगदान के लिए “झारखंड टाइगर” का उपनाम दिया। झारखंड का निर्माण 2000 में बिहार के दक्षिणी हिस्से से हुआ था।
- झारखंड आंदोलन के दौरान शिबू सोरेन का समर्थन करने में चंपई सोरेन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- चंपई सोरेन ने सरायकेला सीट पर उपचुनाव के जरिए निर्दलीय विधायक बनकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। बाद में वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) में शामिल हो गए।
- झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन के वफादार माने जाने वाले चंपई हेमंत सोरेन के इस्तीफे और बाद में
- उन्होंने 1991 में अविभाजित बिहार में सरायकेला सीट से उपचुनाव के माध्यम से एक स्वतंत्र विधायक के रूप में निर्वाचित होकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 2000 के विधानसभा चुनाव में, जो राज्य में आयोजित पहला चुनाव था, उन्हें उसी निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के अनंत राम टुडू ने हराया था। चंपई सोरेन ने 2009, 2014 और 2019 में लगातार चुनाव जीते। वो अब तक 7 बार विधायक रहे हैं।सितंबर 2010 से जनवरी 2013 के बीच अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार में वो कैबिनेट मंत्री रहे।
- जब 2019 में हेमंत सोरेन ने राज्य में अपनी दूसरी सरकार बनाई, तो चंपई सोरेन खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बने। 31 जनवरी 2024 की रात को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई जेएमएम विधायक दल के नेता और झारखंड के 7वें मुख्यमंत्री बने।
- शिबू सोरेन और उनके बेटे हेमंत के बाद जेएमएम से इस पद पर पहुंचने वाले वो तीसरे व्यक्ति हैं।