छत्तीसगढ़ ACB-EOW ने झारखंड शराब घोटाले में दर्ज की FIR, आईएएस और आबकारी अधिकारियों पर करोड़ों की साजिश में शामिल होने का आरोप

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प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 28 सितंबर 2024

छत्तीसगढ़ ACB-EOW ने 7 सितंबर को झारखंड में एक शराब घोटाले का खुलासा करते हुए FIR दर्ज की, जो छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग में हुए बड़े घोटाले के पैटर्न पर आधारित है। इस FIR में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व सचिव आईएएस विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेन्द्र सिंह समेत कई व्यक्तियों के नाम शामिल हैं, जो छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट से जुड़े हुए हैं। इन अधिकारियों पर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोपों के तहत रायपुर EOW में नया मामला दर्ज किया गया है।

FIR के अनुसार, आईएएस अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और उनके सिंडिकेट ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर राज्य की आबकारी नीति में बदलाव किया। इसके परिणामस्वरूप झारखंड में घरेलू और विदेशी शराब की निविदा सिंडिकेट के सदस्यों को दी गई। नकली होलोग्राम वाली देशी शराब बिना हिसाब-किताब के बेची गई, जबकि विदेशी शराब की आपूर्ति का काम नजदीकी एजेंसियों को दिया गया। एफ.एल.10ए लाइसेंस के माध्यम से यह काम किया गया, जिससे करोड़ों रुपए की अवैध कमाई की गई।

 

 

 

अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेन्द्र सिंह ने अपने वरिष्ठों को इस योजना में शामिल कर झारखंड में इसे लागू किया। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को एक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया और उन्होंने छत्तीसगढ़ की नीति के आधार पर झारखंड सरकार के लिए एक मॉडल तैयार किया। झारखंड में 2022 में नए आबकारी नियम लागू किए गए, जिसके तहत त्रिपाठी को 1.25 करोड़ रुपये की फीस दी गई।

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झारखंड में निविदा की शर्तों को अनुकूल बनाकर छत्तीसगढ़ की कंपनियों सुमित फैसिलिटी, ईगल हंटर सॉल्यूशंस और ए-टू-जेड इन्फ्रा सर्विसेज को ठेके दिए गए। इन कंपनियों के मालिकों ने सिद्धार्थ सिंघानिया को मानव संसाधन आपूर्ति का काम सौंपा, जिन्होंने रांची में एक कार्यालय खोलकर उनकी ओर से कामकाज संभाला। हालांकि, सिंघानिया ने झारखंड की शराब दुकानों में आवश्यक संख्या में कर्मचारियों की आपूर्ति नहीं की, बल्कि स्थानीय ठेकेदारों से पुराने श्रमिकों को काम पर रखकर अवैध रूप से धन वसूला। इसके परिणामस्वरूप दुकानों में कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी आई।

सिंडिकेट ने झारखंड में एफ.एल. 1ए लाइसेंस की शुरुआत की, जो छत्तीसगढ़ में 10ए लाइसेंस के समान था, और घरेलू व विदेशी शराब की आपूर्ति का काम ओम साईं बेवरेजेस और दिषिता वेंचर्स को निविदा शर्तों में संशोधन कर दिया गया। होलोग्राम आपूर्ति का काम नोएडा के विद्धु गुप्ता, जो प्रिज़्म होलोग्राफी एंड सिक्योरिटी फिल्म प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हैं, को दिया गया। उन्होंने यह काम ओक्युलर होलोग्राफी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को उप-ठेके पर दिया, लेकिन खुद होलोग्राम की आपूर्ति नहीं की।

छत्तीसगढ़ सिंडिकेट ने 1 मई 2022 से पूरे झारखंड में अवैध शराब व्यापार शुरू कर दिया, जिससे वे करोड़ों रुपए कमा सके, और उन्होंने इस व्यापार को सरकारी नियमों के अंतर्गत लाकर छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों को धोखा दिया। जनवरी 2022 में रायपुर में एक बैठक हुई, जिसमें सिंडिकेट और झारखंड के अधिकारियों ने झारखंड में अवैध शराब व्यापार की योजना बनाई।

FIR में शिकायतकर्ता विकास सिंह ने कहा कि झारखंड में नई शराब नीति लागू होने के बाद 2022-23 के लिए राज्य की आबकारी राजस्व की लक्ष्य राशि में करोड़ों की गिरावट आई। उन्होंने अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, सिद्धार्थ सिंघानिया, विद्धु गुप्ता और उनके सिंडिकेट पार्टनर्स के खिलाफ, साथ ही झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे, आबकारी संयुक्त आयुक्त गजेन्द्र सिंह और उनके सहयोगियों पर भ्रष्टाचार और राज्य को नुकसान पहुंचाने के आरोपों में जांच और कार्रवाई की मांग की।

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