बिजली की कीमतों में 17% तक की बढ़ोतरी: जून से लगातार बढ़ा बोझ, चुनावों के बाद उपभोक्ताओं पर डबल मार

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प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 4 दिसंबर 2024

प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को लगातार महंगी बिजली का सामना करना पड़ रहा है। अक्टूबर में बिजली की कीमतों में 3.08% का इजाफा हुआ, जिससे बीते चार महीनों में यह बढ़ोतरी कुल 17.31% तक पहुंच गई है। यह बढ़ोतरी उपभोक्ताओं के बजट पर भारी असर डाल रही है।

कैसे बढ़ रही हैं कीमतें?
जून में नए टैरिफ जारी होने के बाद शुरुआत में राहत मिली थी, लेकिन जुलाई से लगातार ऊर्जा प्रभार बढ़ता गया। जून में यह मात्र 0.69% था, जो अक्टूबर तक बढ़कर 17.31% हो गया। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं को नवंबर के बिजली बिल में देखने को मिलेगा, जिसमें अक्टूबर की खपत पर आधारित अतिरिक्त शुल्क जोड़ा जाएगा।

 

 

 

100 यूनिट तक की खपत: मौजूदा टैरिफ 3.90 रुपये प्रति यूनिट पर 17.31% अतिरिक्त शुल्क लगेगा।

400 यूनिट तक की खपत: “बिजली बिल हाफ योजना” के तहत बिल आधा तो रहेगा, लेकिन अतिरिक्त शुल्क लागू होगा।

क्या है एफपीपीएएस?
बिजली की बढ़ती कीमतों का मुख्य कारण फ्यूल पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) है। इसे अप्रैल 2023 में लागू किया गया था, और यह उत्पादन लागत व अन्य खर्चों के अंतर को कवर करता है।

जुलाई 2023: 4.72%

अगस्त 2023: 11.95%

सितंबर 2023: 14.23%

अक्टूबर 2023: 17.31%

चुनावों के कारण हुई देरी
अगस्त में चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण सितंबर और अक्टूबर की दरों को रोक दिया गया था। बाद में इन महीनों की बढ़ी हुई दरों का समायोजन किया गया।

जुलाई से बिजली की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है।
जुलाई: 4 फीसदी वृद्धि
अगस्त: 7.23 फीसदी का बड़ा झटका
सितंबर: 2.28 फीसदी वृद्धि
अक्टूबर: 3.08 फीसदी वृद्धि

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उपभोक्ताओं की बढ़ती परेशानी
लगातार बढ़ती बिजली दरों से घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं पर भारी वित्तीय दबाव पड़ रहा है। उपभोक्ताओं को उम्मीद है कि सरकार जल्द राहत प्रदान करेगी। हालांकि फिलहाल ऊर्जा प्रभार की बढ़ती दरें उनके लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।

क्या मिलेगी राहत?
बिजली दरों में वृद्धि की यह रफ्तार रुकने के संकेत फिलहाल नहीं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक एफपीपीएएस दरों में गिरावट नहीं आती, उपभोक्ताओं को राहत मिलना मुश्किल है।

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