प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 11 दिसंबर 2024
छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय हुए DMF घोटाले में रानू साहू और माया वारियर की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है । ED ने निलंबित IAS रानू साहू समेत 10 लोगों की प्रापर्टी को अटैच किया है । ईडी ने DMF घोटाला केस में 23.79 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति कुर्क है। कुर्क की गई ये संपत्ति DMF घोटाले में आरोपी निलंबित IAS रानू साहू, माया वारियर, मनोज कुमार द्विवेदी समेत 10 लोगों की है।
इस मामले में 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं राधे श्याम मिर्झा, भुवनेश्वर सिंह राज, वीरेंद्र कुमार राठौर, भरोसा राम ठाकुर, संजय शेंडे, हृषभ सोनी और राकेश कुमार शुक्ला गिरफ्त से बाहर है।
17 दिसंबर की बढ़ी न्यायिक रिमांड
मंगलवार को DMF घोटाले में जेल में बंद निलंबित IAS रानू साहू और माया वारियर को कोर्ट में पेश किया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 17 दिसंबर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है। ED ने अपनी जांच छत्तीसगढ़ पुलिस की FIR के बाद शुरू की थी।
इसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलीभगत करके DMF को हड़पने की साजिश रची थी। DMF ठेकों को धोखाधड़ी से हासिल करने के लिए, ठेकेदारों ने भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को कॉन्ट्रैक्ट रेट का 15% से 42% तक कमीशन दिया।
90 करोड़ का घोटाला
ED की जांच ने DMF घोटाले के तौर-तरीकों का खुलासा किया है। इसमें यह बात सामने आई है कि ठेकेदारों के बैंक खाते में जमा की गई रुपयों का बड़ा हिस्सा ठेकेदारों द्वारा सीधे नकद में निकाल लिया गया। जांच के दौरान, ED ने ठेकेदारों, सरकारी और उनके सहयोगियों के अगल-अगल ठिकानों पर रेड मारी थी।
कार्रवाई के दौरान 2.32 करोड़ कैश और ज्वेलरी जब्त की गई थी। इस मामले में अब तक कुल 90.35 करोड़ रुपए घोटाले की जानकारी सामने आई है। जिसमें से अधिकारियों ने 23.79 करोड़ रुपए की अचल और चल संपत्तियों को कुर्क किया है।
42 प्रतिशत तक दिया गया कमीशन
ED की जांच में पता चला कि, 2021-22 और 2022-23 में मनोज कुमार द्विवेदी ने निलंबित IAS रानू साहू और अन्य अधिकारियों से मिलीभगत की। अपने NGO उदगम सेवा समिति के नाम पर कई DMF ठेके हासिल किए थे। अधिकारियों को टेंडर की राशि का 42% तक कमीशन दिया था।
DMF घोटाला क्या है?, जिसमें ये नई गिरफ्तारी हुई
प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। केस में यह तथ्य निकाल कर सामने आए हैं कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितता पाई गई। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।