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World Earth Day 2025: सरगुजा में निलगिरी पेड़ों की अवैध कटाई, कांग्रेस ने भाजपा विधायक पर संरक्षण देने का लगाया आरोप

डेस्क

अंबिकापुर, 22 अप्रैल 2025

एक ओर जहां दुनियाभर में वर्ल्ड अर्थ डे के मौके पर पर्यावरण संरक्षण के संदेश दिए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरगुजा संभाग के विभिन्न क्षेत्रों में निलगिरी के पेड़ों की अवैध कटाई ने चिंता बढ़ा दी है। अंबिकापुर सहित कई इलाकों में इन दिनों तेज़ी से पेड़ों को काटकर छोटे टुकड़ों में परिवर्तित कर उत्तर प्रदेश और हरियाणा भेजा जा रहा है। आरोप है कि इस कटाई के लिए कोई कानूनी अनुमति नहीं ली गई है और इसे सत्ता पक्ष के नेताओं तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से अंजाम दिया जा रहा है।

 

कांग्रेस ने उठाए सवाल, विधायक पर लगाया संरक्षण का आरोप

इस पूरे मामले में कांग्रेस ने भाजपा विधायक राजेश अग्रवाल को कठघरे में खड़ा किया है। अंबिकापुर विधायक और कांग्रेस नेता राजेश अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि पेड़ काटने वालों को भाजपा के विधायक और उनके करीबी लोगों का संरक्षण प्राप्त है, जिससे प्रशासन कार्रवाई से बच रहा है।

सरगुजा कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आशीष वर्मा ने कहा कि लखनपुर, जहां भाजपा विधायक राजेश अग्रवाल का निवास है, वहीं सबसे अधिक पेड़ों की कटाई हो रही है। यह संयोग नहीं बल्कि संरक्षण का प्रमाण है।

बिना अनुमति चल रही भारी मशीनों से कटाई

बताया जा रहा है कि बीते कुछ महीनों से दूसरे राज्यों से आए लोग निजी राजस्व भूमि पर लगे निलगिरी के पेड़ों को किसानों से खरीदकर भारी मशीनों की मदद से काट रहे हैं। इन पेड़ों को ट्रकों में भरकर अन्य राज्यों में भेजा जा रहा है, लेकिन इस पूरे प्रकरण में न तो वन विभाग से अनुमति ली गई है और न ही स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई अनुमति पत्र जारी हुआ है।

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विधायक ने खुद को बताया अनजान, एसडीएम को दिए कार्रवाई के निर्देश

भाजपा विधायक राजेश अग्रवाल ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्हें भी इस अवैध कटाई की जानकारी मिली है और उन्होंने क्षेत्रीय एसडीएम को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि बाहर के लोग हमारे क्षेत्र में आकर पेड़ क्यों काट रहे हैं, जबकि निलगिरी की कटाई की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से विनियमित होती है।

पर्यावरणविदों ने जताई चिंता

पर्यावरणविदों का कहना है कि निलगिरी के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से न केवल जैव विविधता को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि वायुमंडलीय संतुलन भी प्रभावित होगा। वर्ल्ड अर्थ डे पर इस तरह की घटनाएं शासन-प्रशासन की गंभीर लापरवाही को उजागर करती हैं।

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