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सेना ने उठाई बड़ी मांग: रक्षा खरीद नियमों में हो बदलाव, PSUs की मोनोपोली खत्म कर निजी कंपनियों को मिले बराबरी का मौका – जल्द दिखेगा बड़ा बदलाव

प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 23 अप्रैल 2025

भारतीय सेना ने रक्षा खरीद नियमावली (DPM) में बड़े बदलाव की वकालत की है, ताकि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (PSUs) के पक्ष में झुकाव को संतुलित किया जा सके और निजी उद्योगों को भी समान अवसर मिल सकें। यह बयान सेना की राजस्व खरीद देखने वाले मास्टर जनरल सस्टेनेन्स, लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह आउजिला ने सोमवार को PHDCCI के कार्यक्रम में दिया।

आउजिला ने कहा कि सेना पिछले दो वर्षों से DPM में बदलाव के लिए नीति-निर्माताओं से संपर्क कर रही है और जल्द ही कुछ ठोस परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। उन्होंने DPM के अनुच्छेद 2.4.8 का विशेष रूप से उल्लेख किया, जो सेना को OEMs (मूल उपकरण निर्माता) से सीधे खरीदने से रोकता है और DPSUs पर निर्भर बनाता है।

उन्होंने जानकारी दी कि सेना की राजस्व खरीद का वार्षिक बजट 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये के बीच है और वर्तमान में लगभग 80% सामान DPSUs से खरीदे जाते हैं। उन्होंने समान गुणवत्ता वाले उत्पाद देने वाले निजी निविदाकारों को भी मौका देने की बात कही, खासकर तब जब सबसे कम बोलीदाता (L1) की उत्पादन क्षमता कम हो।

“हम चाहते हैं कि बाजार उपयोगकर्ता संचालित हो, न कि विक्रेता संचालित। हम निजी क्षेत्र की भागीदारी और प्रतिस्पर्धी निविदाओं को बढ़ावा देना चाहते हैं।” – लेफ्टिनेंट जनरल आउजिला

उन्होंने उद्योग जगत को भरोसा दिलाया कि जल्द ही एक ऐसा माहौल तैयार होगा, जो उनकी आवश्यकताओं के अनुकूल और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के निकट होगा।

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