मीडिया 24 डेस्क
नई दिल्ली/रायपुर, 06 मई 2025
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपी अरविंद सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सख्त लहजे में फटकार लगाई। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयां की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ईडी की ओर से बिना ठोस साक्ष्य के आरोप लगाए जा रहे हैं, जो अब एक पैटर्न बन गया है।
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू 40 करोड़ रुपए की कथित अवैध कमाई से संबंधित कोई ठोस सबूत अदालत में पेश नहीं कर सके। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया कि आखिर आरोपी अरविंद सिंह का इस रकम से सीधा संबंध क्या है? जब राजू ने बताया कि यह राशि अरविंद सिंह और दुबई भाग चुके विकास अग्रवाल ने मिलकर कमाई थी, तो जस्टिस ओका ने पूछा कि क्या अग्रवाल के खिलाफ भी कोई मामला दर्ज हुआ है? इस पर ईडी का जवाब था कि जांच के बाद निर्णय लिया जाएगा।
अरविंद सिंह के वकील ने बताया कि वह पहले ही 10 महीने से हिरासत में हैं, जबकि उनके खिलाफ अभी तक जांच पूरी नहीं हुई है। वकील ने यह भी बताया कि मामले में 21 आरोपी, 25 हजार से ज्यादा दस्तावेज और 150 से अधिक गवाह शामिल हैं।
ईडी ने तर्क दिया कि महज दस्तावेजों की संख्या या समय के आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती। उन्होंने दावा किया कि सिंह ने ‘वेलकम डिस्टिलरीज’ और ‘अनुराग ट्रेडर्स’ के जरिए प्रति बोतल 5 रुपए का मुनाफा कमाया, जिससे कुल 900 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। कोर्ट ने इस पर भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पूछा कि इस कमाई से सिंह का प्रत्यक्ष संबंध कहां सिद्ध होता है।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
ईडी के अनुसार, यह घोटाला पूर्व भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में हुआ, जिसमें अफसरों और कारोबारियों के गठजोड़ से अवैध कमाई की गई।
- पार्ट A: सरकारी शराब निगम से शराब खरीद पर डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई।
- पार्ट B: कच्ची देसी शराब की बेहिसाब बिक्री हुई, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
- पार्ट C: शराब व्यापार में लाइसेंस देने के एवज में कमीशन वसूला गया।
ईडी ने अब तक इस मामले में कई बड़े अधिकारियों और कारोबारियों को आरोपी बनाया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी से साफ है कि अदालत केवल आरोपों से नहीं, सबूतों से संतुष्ट होगी।
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