रायगढ़, 21 मई 2025
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के ग्राम बजरमुड़ा में 415 करोड़ रुपए से अधिक के मुआवजा घोटाले को लेकर बड़ी कार्रवाई हुई है। राज्य शासन के निर्देश पर रायगढ़ कलेक्टर ने घरघोड़ा के तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार समेत सात अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह मामला भूमि अधिग्रहण में अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है, जिसमें बड़ी मात्रा में सरकारी धन के दुरुपयोग की बात सामने आई है।
मामले के शिकायतकर्ता अधिवक्ता दुर्गेश शर्मा ने इस कार्रवाई को अपर्याप्त बताते हुए तत्कालीन कलेक्टर और छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (सीएसपीजीसीएल) के अधिकारियों की भूमिका की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से कराए जाने की मांग की है।
250 करोड़ के आर्थिक अपराध की जांच रिपोर्ट में पुष्टि
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 6 दिसंबर 2023 को प्रवर्तन निदेशालय और राज्य शासन के अधिकारियों ने 200 से अधिक पुलिसकर्मियों के साथ बजरमुड़ा में जांच की थी। जनवरी 2024 में एक और विस्तृत जांच की गई, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि 250 करोड़ रुपए से अधिक का आर्थिक अपराध हुआ है। इसके बाद सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए गए। शर्मा ने इसे जिले के भू-अर्जन से जुड़े घोटालों पर अंकुश लगाने की दिशा में सकारात्मक कदम बताया।
CSGPCL की आपत्ति की अनदेखी?
विज्ञप्ति में कहा गया कि छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड ने 28 जून 2021 को अवार्ड आदेश के विरुद्ध रायगढ़ कलेक्टर के समक्ष अपील दायर की थी। कंपनी ने आरोप लगाया था कि पौधों को वृक्ष बताकर अधिक मुआवजा तय किया गया और 32 माह का ब्याज जोड़ दिया गया। हालांकि कलेक्टर ने केवल छह माह का ब्याज मंजूर किया, लेकिन परिसंपत्तियों की गणना और मुआवजा निर्धारण जैसे बिंदुओं को नजरअंदाज कर दिया।
CBI जांच की चेतावनी
दुर्गेश शर्मा ने आरोप लगाया कि एक गाँव में सैकड़ों करोड़ के भ्रष्टाचार की जानकारी होने के बावजूद तत्कालीन कलेक्टर ने मामले को रोकने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्होंने इसे सुनियोजित आर्थिक षड्यंत्र करार दिया है।
शर्मा ने बताया कि इस मामले में 8 नवंबर 2024 को EOW को सभी दस्तावेज सौंपे गए थे और पुनः स्मरण पत्र भेजा गया, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो वे उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे ताकि मुआवजा घोटाले की सीबीआई जांच हो सके और यह स्पष्ट हो सके कि किस अधिकारी ने किस किसान से अवैध उगाही की।
यह मामला रायगढ़ जिले में भूमि अधिग्रहण से जुड़ी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।