प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 27 मई 2025
भारतमाला सड़क परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में मुआवजा घोटाले की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। एसीबी-ईओडब्ल्यू की जांच में अब तक 150 संदिग्ध व्यक्तियों और 130 बैंक खातों का पता चला है। ये बैंक खाते मुख्यतः महासमुंद जिले के आईसीआईसीआई बैंक से जुड़े हुए हैं, जिनके माध्यम से करोड़ों रुपये के लेन-देन की आशंका जताई जा रही है। मामले की गहन जांच जारी है।
महासमुंद और अभनपुर के लोग संदेह के घेरे में
जांच में सामने आया है कि घोटाले से जुड़े लोग मुख्य रूप से महासमुंद और अभनपुर क्षेत्र के हैं। भारतमाला परियोजना के मुआवजे की राशि कुछ किसानों के खातों में ट्रांसफर हुई, जो बाद में कारोबारी हरमीत सिंह खनूजा के खाते में पहुंच गई।
गिरफ़्तारी और छापेमारी
पिछले एक महीने में एसीबी-ईओडब्ल्यू ने दर्जनों ठिकानों पर छापेमारी की है, जिसमें केदार तिवारी, उनकी पत्नी उमा तिवारी, व्यापारी हरमीत सिंह खनूजा और विजय जैन को गिरफ़्तार किया गया है। ये सभी आरोपी इस वक्त न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद हैं। छापेमारी में कई अहम दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिनसे घोटाले की परतें खुल रही हैं।
क्या है भारतमाला परियोजना और भूमि अधिग्रहण घोटाला?
भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 950 किमी की सड़क निर्माण की योजना है। रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन और दुर्ग से आरंग तक सिक्सलेन सड़क बनना प्रस्तावित है। इसके लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के अनुसार किसानों को जमीन की कीमत के अतिरिक्त सोलेशियम के रूप में दोगुना मुआवजा मिलना चाहिए, लेकिन कई किसानों को अब तक भुगतान नहीं हुआ।
विधानसभा में उठा था मुद्दा
इस घोटाले का मामला छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र 2025 में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने उठाया था। इसके बाद राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की जांच एसीबी और ईओडब्ल्यू को सौंपी थी।
जांच जारी, और भी खुलासों की संभावना
जांच एजेंसियों के अनुसार, घोटाले में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं। बैंक खातों की जांच और दस्तावेजों के विश्लेषण से आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां संभव हैं।
यह मुआवजा घोटाला छत्तीसगढ़ में पारदर्शी शासन व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। जनता को अब यह उम्मीद है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और जिन किसानों को मुआवजा नहीं मिला, उन्हें न्याय मिलेगा।