कन्हैया तिवारी की रिपोर्ट
गरियाबन्द 30अप्रैल2020
गरियाबंद। कोरोना (कोविड-19) नाम से भयानक महामारी पूरे देश में संकट की स्थिति पैदा कर दिया है, जिसके कारण प्रदेश में आम लोगों की सुरक्षा एवं इस महामारी से उबरने पूरे प्रदेश मेंलाॅकडाउन किया गया है। गरियाबंद जिले के रूपसिंग साहू सामाजिक कार्यकर्ता एवं कार्यकारिणी अध्यक्ष, प्रदेश साहू संघ, युवा प्रकोष्ठ रायपुर संभाग ने जिले में लाॅकडाउन के चलते केन्द्र एवं राज्य सरकार के गाइड लाईन ’ सोशल डिस्टेंसिंग ’ का पालन करते हुए दूरस्थ गांवों से आने वाले मरीजों का शासकीय अस्पताल डाॅ भीम राव अंबेडकर में निःस्वार्थ ईलाज में मदद कर रहे हैं, वे रोज सुबह 10 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक अपना सहयोग एवं सेवाएं मरीजों को देकर अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है , एवं जब-जब समय मिलता है ब्रम्हलीन संत कवि पवन दीवान जी का प्रवचन सुनते हैं, प्रवचन से हमें शिक्षा, संस्कार और जीवन जीने की कला सिखाती है तथा प्रवचन में बतलाये हुए मार्ग पर चलकर उनकी अच्छाईयों एवं सद्गुणों का अनुकरण करना चाहिये। उन्होने कोरोना संक्रमण की रोकथाम हेतु सरकार के निर्देशो का पालन करने की अपील करते हुवे कहा कि लाॅकडाउन में मास्क लगाकर एवं ’सोशल डिस्टेंसिंग’ का पालन करने से ही कोरोना से जंग जीत सकते हैं।साहू पिछले 12 वर्षो से मरीजों की मदद कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों को सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं होती, उन्हें योजनाओं का लाभ दिलाने में वे पहल करते आ रहे हैं। साहू ने आगे बताया कि इस मेकाहारा अस्पताल में शहर के अलावा गांवों से बड़ी संख्या में मरीज व उनके परिजन आते हैं, जिन्हें कुछ पता नहीं रहता कि कहां क्या होना है। चूंकि आसपास के गांवों में जो लोग इन्हें जानते हैं, वे फोन पर संपर्क कर सहायता की गुहार लगाते हैं, रूपसिंग जितना हो सके उनकी मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि 12-13 साल पहले अखबार में एक खबर छापी थी कि मेकाहारा में आंखों का ईलाज कराने आया मरीज भटक रहा है। खबर को पढ़कर उन्हें लगा कि उनकी मदद किया जाये, मरीज महासमुंद जिले के बागबाहरा का रहने वाला था, उनकी मदद करने के बाद जो उन्हें जो खुशी मिली उसका नतीजा ये हुआ कि इस काम में समय देने लगे। उन्होंने बताया कि शहर व आसपास के जिलों में कई ऐसे मरीज होते हैं जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होते हैं, लेकिन उनके पास बीपीएल कार्ड नहीं होता, ऐसे लोगों का कोटेशन अंबेडकर अस्पताल से बनवाकर मुख्यमंत्री जी से निवेदन कर नियमों को शिथिल करवाकर उनका ईलाज संजीवनी कोष से कराकर मरीजों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से दो-चार होना ही पड़ता है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का तो सरकारी अस्पताल ही सहारा होते हैं। कई ऐसे केस भी देखे गए हैं जिसमें गंभीर बीमारी से जूझ रहे किसी शख्स का परिवार जमीन-जायदाद बेचने के बाद जब मरीज की सेहत में सुधार नही तो उसे शासकीय अस्पताल में भर्ती करा देते हैं। राजधानी में प्रदेश का सबसे बड़ा हाॅस्पिटल डाॅ. भीमराव अंबेडकर है। यहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग राज्य के अलावा दूसरे प्रदेश से भी पहुंचते हैं। अक्सर यहां बड़ी बीमारियों के अलावा हादसे के शिकार लोग भी आते हैं। उन्हें यहां की प्रक्रिया के बारे में कुछ पता नहीं होता। ऐसे लोगो की सहायता कर उनका उपचार कराते है।