छत्तीसगढ़ : किसानों के मुद्दों को लेकर फरवरी में प्रदेश कांग्रेस का केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोल, ब्लॉक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक कांग्रेस करेगी आंदोलन

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 02 फरवरी 2021

अब कांग्रेस किसानों के मुद्दों को लेकर प्रदेशभर में बड़ा प्रदर्शन करने वाली है । दरअसल किसानों पर हुई लाठीचार्ज और कृषि बिल के विरोध में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी बड़ा प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने की तैयारी में है ।  प्रदेश कांग्रेस ने पूरे महीने चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की है। अनुमान लगाया जा रहा है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सड़कों पर उतर जाने से किसानों का यह आंदोलन अधिक जोर पकड़ेगा।

 

 

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने बताया, 22 जनवरी को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में किसानों के मामले की जांच संयुक्त संसदीय दल से कराने की मांग उठी थी। इसके लिए प्रदेश, जिला एवं ब्लाक स्तर पर किसान सम्मेलन और पदयात्रा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इसकी शुरुआत ब्लॉक समितियों से होगी। उन्होंने कहा, किसानों के समर्थन में सभी ब्लॉकों में एक दिन का किसान सम्मेलन और पत्रकार वार्ता होगी। इसके लिए जिला कांग्रेस कमेटी से एक वरिष्ठ नेता को ब्लॉकों में भेजा जाएगा। यह सम्मेलन 10 फरवरी तक पूरा कर लिया जाना है।

ब्लॉक स्तरीय सम्मेलन हो जाने के बाद पदयात्राएं होंगी। प्रत्येक जिले में 10 से 20 किलोमीटर लंबी पदयात्रा का आयोजन होना है। इसे 20 फरवरी से पहले किया जाना है। प्रदेश कांग्रेस ने प्रत्येक जिला समिति से तीन दिनों के भीतर पदयात्रा की रूपरेखा मांगी है। इन पदयात्राओं में प्रदेश कांग्रेस कमेटी से पदाधिकारियों को भेजा जाएगा। पदयात्राओं के बाद रायपुर में एक प्रदेश स्तरीय किसान सम्मेलन होना है। इसे 28 फरवरी से पहले आयोजित करना है। कांग्रेस अभी इसकी तिथि तय नहीं कर पाई है। बताया जा रहा है कि इस सम्मेलन में कोई केंद्रीय नेता भी शामिल होगा।

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पहले भी हो चुके आंदोलन

तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस पहले भी बड़े आंदोलन कर चुकी है। इस मुद्दे पर कांग्रेस दो बार राजभवन का घेराव भी कर चुकी है। इसके अलावा कई बार पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और भाजपा सांसदों का घर के घेराव की कोशिश हो चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद इस मसले पर काफी मुखर हैं। उन्होंने सरकार की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की थी।

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