प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 10 मई 2021
■ पत्र में सूक्ष्मता से बनाई गई प्लानिंग
■ मुख्यमंत्री से किया आग्रह कि इस मॉडल पर काम करें सरकार
पूरा देश इन दिनों कोरोना महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार अपने अपने स्तर पर कोरोना से जंग लड़ने के लिए कई तरह की योजनाएं भी बना रही है। लिहाजा समाज में कई ऐसे लोग हैं, जो अपनी सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करने के लिए बेहतर तरीके से योजना बनाकर कोरोना से निपटने हेतु समय-समय पर सरकारों को सुझाव प्रदान करते रहते हैं। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी के सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक प्रवीण कुमार दुबे ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कोरोना संक्रमण से निपटने हेतु ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट के लिए सुझाव पत्र दिया है। इस पत्र में सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश के प्रदेश सह संयोजक प्रवीण कुमार दुबे ने कोरोनावायरस के नियंत्रण को लेकर मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि ‘ट्रिपल टी’ इस मॉडल को अपनाकर छत्तीसगढ़ में कोरोना को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।
क्या है ट्रिपल T मॉडल?
सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक प्रवीण कुमार दुबे ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे पत्र में सबसे पहले ट्रेसिंग का उल्लेख किया है। इसके मुताबिक उन्होंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है कि ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायतों को एवं नगरीय क्षेत्रों में वार्ड को माइक्रोजोन बनाया जाए एवं पंचायत स्तर में सरपंचों की अध्यक्षता में चार-पांच लोगों की टीम बने। ग्राम पंचायतों की ये टीम बकायदा घर-घर जाकर प्रत्येक नागरिक का रैंडम परीक्षण करेगी व परीक्षण के दौरान सम्बंधित ग्रामीण का फोटो भी लिया जाए।
इसके साथ ही उन्होंने यह परीक्षण चार-चार दिनों के अंतर में दो-तीन सप्ताह में करने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया है। उन्होंने विश्वास जताया है कि इससे कोरोना संक्रमण का फैलाव रोका जा सकेगा। साथ ही कोरोना नियंत्रित होने के बाद एक माह में यह परीक्षण बीच-बीच में होता रहेगा, जिससे कोरोना की तीसरी लहर भी नियंत्रित हो पायेगी।
अपने पत्र में प्रवीण दुबे ने ट्रेसिंग के तीसरे संदर्भ में कहा है कि इस काम को संपादित करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर मूलभूत योजना एवं शहरी क्षेत्रों में पार्षद विकास निधि का उपयोग किया जा सकता है। जिससे छत्तीसगढ़ सरकार को आर्थिक बोझ भी कम हो सकेगा।
दूसरा T
पंचायत स्तर के लिए योजना बनाते हुए सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक प्रवीण दुबे ने सरकार से आग्रह किया है कि जनपद पंचायत के सीईओ एवं नगरीय क्षेत्रों में सीएमओ और नगर निगम कमिश्नर को जोन अधिकारी बनाया जाए। दोनों प्रकार के जोन अधिकारी अपने अधीनस्थ टीम के साथ समन्वय बनाकर टीम के कार्यों का सतत निगरानी करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने आग्रह किया है कि टेस्टिंग टीम के द्वारा संदेही मरीजों की जानकारी अपने जोन के अधिकारियों को दी जाएगी, जिसके बाद जोन अधिकारी स्वास्थ्य परीक्षण स्थल पर मरीजों को पहुंचाने का प्रबंध कर के मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे। इसके अलावा प्रवीण दुबे ने कहा है कि प्रदेश के बहुत से क्षेत्रों में ही मरीजों के द्वारा अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार जैसी घटनाएं सामने आती रहती हैं, ऐसी स्थिति में टेस्टिंग टेस्टिंग टीम के साथ सुरक्षा की टीम यानी पुलिस की टीम भी रहे।
सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक प्रवीण दुबे ने कहा है कि संदेही मरीजों को लक्षण के आधार पर डॉक्टर परीक्षण करें एवं आवश्यक हो तो कोरोना टेस्ट करें या अन्य किसी बीमारी का लक्षण दिखने पर अन्य बीमारी का टेस्ट करें। क्योंकि प्रदेश में कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि वायरल फीवर या अन्य साधारण फ्लू वाले मरीज को भी कोरोना टेस्ट कराने के लिए लाइन में लगना पड़ता है, जिसे कारण संक्रमण और ज्यादा फैलने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में इस महत्वपूर्ण बिंदु पर प्रवीण दुबे ने मुख्यमंत्री को सुझाव भेजा है।
ट्रीटमेंट को लेकर यह हो
प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि प्रदेश के हर विकासखंड स्तर पर कोविड अस्पताल सुनिश्चित करें, जिससे जिला मुख्यालय के हॉस्पिटल में मरीजों का दबाव कम हो सकेगा एवं आसानी से सभी मरीजों के लिए अन्य सुविधाएं भी सुनिश्चित हो पाएंगी। इसके साथ ही उन्होंने लिखा है कि अधिकांश मरीजों का मकान छोटा होने के कारण नियमों का पालन नहीं हो पाता, जिससे घरवालों को संक्रमण आसानी से हो जाता है, ऐसी स्थिति में सुझाव दिया है कि आइसोलेशन की व्यवस्था विकासखंड स्तर पर व्यवस्था की जाए।
जिसके लिये लगभग 500 बिस्तर आइसोलेशन सेंटर बनाया जाये। जिस हेतु बिस्तर व अन्य साधनों की व्यवस्था शासकीय छात्रावासों से लिया जाए, जिससे सरकार का पैसा भी बचेगा और आइसोलेशन सेंटर निर्माण का समय भी बच पाएगा।
इसके अलावा प्रवीण दुबे ने सरकार से आग्रह किया है कि कोरोना मरीजों को लक्षण के आधार पर तीन श्रेणियों में विभक्त किया जाए। सामान्य मरीजों को विकासखंड स्तर के आइसोलेशन सेंटर में रखा जाए। इसके साथ ही उससे ऊपर के मरीजों को विकासखंड स्तर के कोरोना हॉस्पिटल में उपचार किया जाए। साथ ही कोरोना के गंभीर मरीजों को जिला मुख्यालय में इलाज हेतु भेजा जाए, जिससे सभी मरीजों को निगरानी डाक्टर द्वारा आसानी से हो सकेगी।
साथ ही प्रवीण दुबे ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दिए पत्र में उल्लेख किया है स्वास्थ्य अधिकारियों को उनकी प्रशासनिक जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाए एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी के प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी अपर कलेक्टर रैंक के अधिकारियों को दिया जाए, क्योंकि प्रशासनिक अधिकारियों की प्रबंध क्षमता एवं कार्यों की निगरानी करने की तकनीक बेहतर होती है। सभी डॉक्टरों को सिर्फ मरीजों का उपचार एवं संबंधित कार्य ही दिया जाए।
इसके साथ ही सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश सहसंयोजक प्रवीण दुबे ने छत्तीसगढ़ सरकार से आग्रह किया है कि इन प्रभावी कदमों को उठाने से निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ में कोरोना मरीजों के संक्रमण पर नियंत्रण हो पाएगा।
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