कन्हैया तिवारी
गरियाबंद 1 जून 2021
प्रदेश में एक तरफ वेक्सिन को लेकर किल्लत सी हो गई है,वंही दूसरी ओर देवभोग टिकाकरण केंद्र में डोज बर्बाद करने का मामला सामने आया है।बताया गया कि 29 मई को यंहा पदस्थ डॉक्टर एस एस गुप्ता व एक सीनियर नर्स को 45 प्लस का सेकेंड डोज लगना था।लेकिन संख्या की पूर्ति नही हो रही थी,45 प्लस के लिए किसी का भी पंजीयन नही था, लेकिन डॉक्टर साहब को उसी दिन ही टिका लगवाना था, संख्या की कमी को देखते हुए वेक्सीनेटर टीम ने वेक्सिन लगाने से मना कर दिया था। लेकिन इस टीम के पास रखे वेक्सिन एक वायल को सीनियर नर्स निकाल कर दूसरे कक्ष ले गई, जन्हा अस्पताल के अन्य महिला नर्स के माध्यम से डॉक्टर गुप्ता व सीनियर नर्स को टिका लगाया गया। रजिस्टर के मुताबिक 45 प्लस के लिए खोले गए इस वायल में दो सरकारी स्टाफ के अलावा मूँगझर की महिला धनमती बाई को लगाया गया।बाकी 8 डोज खराब हो गए। आपको बता दे कि जब लोगों के बीच ये बात रोमर की तरह जब फैल गई कि वही के सरकारी कर्मचारियों के द्वारा अपना जब वैक्सीन अपने मर्जी के अनुसार लगाना था तो जब भी मर्जी हुवा तब निकाल लिए ओर जब पब्लिक को लगना होता है तो नियम की बात कर घण्टो बैठा कर रख देते है और इतना भी नही जब 10 लोगो को लगाने वाला वैक्सीन के लिए कभी 4 से 5 लोग ही रहे तो कम लोग है बोलके वापस भी करा दिया गया है नियम तो सबके लिए है तो फिर विभाग के 2 लोग अपने लिए कैसे वैक्सीन निकल कर लगवा लिए ये भी एक सवाल पैदा करता है कहि ना कहि स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही के चलते ये सब हुवा है अब देखना होगा कि जिला में आराम से बैठे स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी इनको बचाने में लगे रहेंगे या कोई कार्यवाही करेंगे।
जाँच में पहुँचे नायब तहसीलदार को कर दिया गया गुमराह – अस्पताल प्रबन्धन की इस बड़ी लापरवाही की शिकायत एसडीम आशीष अनुपम टोप्पो तक पहूँची, टोप्पो के निर्देश पर नायब तहसीलदार अभिषेक अग्रवाल मामले की जांच के लिए पहूचे , बीएमओ अंजू सोनवानी से नायब तहसीलदार ने मामले की जानकारी लेकर आरम्भिक जांच शूरु किया तो,बीएमओ ने उन्हें बताया कि एक वायल में 10 डोज होते है,जिसमे से 5 का उपयोग किया गया,पंजीयन 7 लोगो ने कराया था,पर घण्टो इंतजार के बाद 3 लोग ही आये।दो कोरोना वारियर्स के साथ मिलाकर कूल 5 लोगों को टिका लगाया गया।अग्रवाल ने टिकाकरण की पंजी देखना चाहा तो बीएमओ ने साफ मना कर दिया, ओर कहा कि मैं बता रही हूँ वही सत्य है बोलकर बात को टाल दिया गया ,एक वायल में 11 डोज होते है जबकि बीएमओ ने 10 बताया।लेकिन टिका लगाया गया उन पांच नाम की जानकारी दे दिया।
18 प्लस के 3 अन्य के लिए खोले गए थे अलग वायल – 29 को टिका लगाने पहुँचे सुयश अवस्थी,एवं निशा माहेश्वरी ने बताया कि उन्हें 3 घण्टे तक इंतजार करना पड़ा था।सेंटर में मौजुद टीम ने ही टेबल में रखे थर्मस से नया वायल खोल कर लगाया था,सूत्रों ने भी दावा किया है कि 18 प्लस व 45 प्लस के लिए कोविसील्ड के दो अलग अलग वायल खोले गए थे,दावा अगर सच है तो 29 को 16 डोज खराब कर दिया गया।इसी तरह 27 मई को भी प्रबन्धन की लापरवाही से 8 डोज खराब करने का दावा किया गया है। हालांकि मामले में बीएमओ अंजू सोनवानी दावे को निराधार बताते हुए 29 को केवल 5 डोज खराब होने की बात स्वीकार किया है।
सूत्र बताते है कि दो 29 को जिन दो सरकारी स्टाफ ने वेक्सिन लगवाये,उनमें से एक को कोवेक्सिन तो दूसरे को कोविसील्ड लगा। इस सूचना के मुताबिक दोनों के लिए अलग अलग वायल खोले गए। ऑनलाइन रिकार्ड की जांच की जाए,कौन कौन सा टिका लगा।
सेल्समेन से लेकर अन्य वारीरयर्स को दो दो दिन टिके के लिए इंतजार कराया गया,संख्या पूर्ति नही होने के कारण, मार्च के अंतिम में फ्रंट लाइन वारियर्स की टिके की डोज कम्प्लीट हो चुकी थी,ऐसे में ये दो मई में कैसे लगाए
गोपनीय सूत्रों की बात करें तो 29 को जिन दो सरकारी स्टाफ ने वेक्सिन लगवाये,उनमें से एक को कोवेक्सिन तो दूसरे को कोविसील्ड लगा। इस सूचना के मुताबिक दोनों के लिए अलग अलग वायल खोले गए। ऑनलाइन रिकार्ड की जांच की जाए,कौन कौन सा टिका लगा है तो साफ हो जाएगा और सरकारी कर्मचारियों की पोल खुल जाएगी
प्रमाण पत्र भी जारी करने में लापरवाही हुवा उजागर – देवभोग निवासी दिलीप कौशिक के मोबाइल नम्बर व पते पर एक अन्य व्यक्ति का वेक्सिन लगाने का मैसेज आया है।दिलीप की पत्नी ज्योति ने कोवेक्सिन लगाया है,पर उनके प्रमाण पत्र में कोविसील्ड लगाना बताकर 3 माह बाद सेकेंड डोज लगाने का उल्लेख प्रमाण पत्र में दिख रहा है। इससे साफ नजर आता है कि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को कोई होस नही है इस मामले में बीएमओ सोनवानी ने जिला में बैठे ऑपरेटर को जिम्मेदार ठहराया है।
3 माह से काम पर लगे वर्करों को नही मिला प्रोत्साहन राशि – वेक्सिनेशन अभियान में 20 स्थानीय यूवा बेरोजगारों को 3 माह पहले काम पर रखा गया था,प्रति कार्य दिवस 500 रुपये प्रोत्साहन राशि के दर पर युवा निरन्तर काम पर डटे हुए है,इन्हें भुगतान के लिए पर्याप्त फंड की भी ब्यवस्था की गई है,बावजूद इन्हें पिछले 3 माह से प्रोत्साहन राशि का भुगतान नही किया जाना प्रबन्धन की बड़ी लापरवाही माना जा रहा है,कहि ऐसा ना हो कि राशि का भुगतान नही होने पर काम मे जा रहे युवा अचानक से काम छोड़ दे।