धनेश्वर बंटी सिन्हा
धमतरी 25 जून 2021
अगर इरादे बुलंद हों तो घोर अंधकार को चीरने के लिए दीपक की एक लौ ही काफी होती है। इस कहावत को धमतरी शहर की महिलाएं चरितार्थ कर रही हैं, जो अब घर पर रहकर शासन के सहयोग से अपने उन सपनों को हकीकत में बदल रही हैं, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। शासन की गरीबी उन्मूलन योजना का लाभ उठाकर समूह की दस महिलाओं के जीवन में आशातीत व सकारात्मक परिवर्तन आया है।
नगर के अंबेडकर वार्ड में रहने वाली अनेक महिलाओं के परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। महिलाएं कुछ करना तो जरूर चाहती थीं लेकिन घर से बाहर निकलकर खुद को साबित करने की इच्छाशक्ति की कमी के चलते साहस नहीं जुटा पाती थीं। शासन द्वारा संचालित गरीबी उन्मूलन के लिए महत्वाकांक्षी योजना स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (वर्तमान में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना) के बारे में जानकारी मिली। आशा बाई साहू ने कार्यालय पहुंचकर योजना के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सहेली संग महिला स्व-सहायता नाम से 10 महिलाओं का संगठन तैयार किया। स्व-सहायता समूह तैयार होने के पश्चात उन्हें आंगनबाड़ी में बच्चों को दिये जाने वाले मुर्रा-लड्डू बनाने का काम मिला। इससे इस समूह को प्रतिमाह 10 हजार से 15 हजार रू. तक की आय प्राप्त होने लगी। इनकी बचत राशि में धीरे-धीरे वृद्धि होने लगी। इसके अलावा राजीव गांधी शिक्षा मिशन योजना के तहत स्कूलों में छात्र-छात्राओं को गणवेश बनाने के काम से भी इनको 15 हजार से 20 रूपए तक की आमदनी होने लगी। साथ ही समूह द्वारा किशोरी रेडी-टू-ईट तैयार कर आंगनबाड़ी केन्द्रों में सप्लाई प्रारंभ की गई।