उर्वशी मिश्रा। कटगी/बलौदाबाजार । 23 अगस्त, 2021
भारत के अनेक प्रांतों में सावन महीने के सप्तमी को छोटी-छोटी टोकरी में मिट्टी डालकर उनमें अन्न के दाने बोये जाते हैं। यह दाने प्रमुखतः गेहूं के होते हैं। अलग -अलग प्रदेशों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है, छत्तीसगढ़ में इसे भोजली के नाम से जाना जाता है। जो कि छत्तीसगढ़ वासियों के लिए फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ वाले इसे आपस में बांटकर आपसी भाईचारे का परिचय देते हैं।
इस तरह उगाये जाते हैं “भोजली”
सावन महीने की सप्तमी में छोटी-छोटी टोकरी में मिट्टी डालकर उसमें गेहूं या धानके दाने बोए जाते हैं। फसल की प्राण प्रतिष्ठा के लिए इन्हें छोटे-छोटे गमलों में उगाए जाते हैं। जिस टोकरी या गमले में इसे उगाया जाता है, उसे एक पवित्र स्थान में या छायादार स्थान में स्थापित किया जाता है। इसमें रोज पानी और पूजा करके इसका देखभाल किया जाता है। दाने धीरे-धीरे बढ़कर एक पौधे का रूप ले लेती है महिलाएं रोज इनकी पूजा करती हैं। जिस प्रकार देवी के सम्मान में देवी गीत गाई जाती है, उसी प्रकार भोजली के पर्व पर भोजली गीत गाकर महिलाएं भोजली माता को नदी में विसर्जित कर आपस में बांटती हैं। सामूहिक रुप में गाये जाने वाले भोजली गीत छत्तीसगढ़ की शान है।
खेतों में भरपूर भंडार देने की कामना
खेतों में इस समय निराई गुड़ाई का काम समापन की ओर रहता है। किसानों की लड़कियां अच्छी वर्षा एवं भरपूर भंडार देने वाली फसल की कामना करते हुए फसल के प्रतीकात्मक रूप के लिए भोजली का आयोजन करती हैं।