कौन सुनेगा..किसको सुनाए : रेत माफियाओं ने ग्रामीणों को बड़े – बड़े सपने दिखाकर लूटा रेत ,रेत का अवैध उत्खनन कर करोड़ो कमा के चल दिये पर न तो तटबंध हुआ न गांव वालों का कोई काम

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भवानीपुर(बलौदाबाजार)

23 नवंबर 2021

विकासखंड पलारी से 20 किलोमीटर दूर ग्राम मोहान महा नदी तट पर मौत के मुहाने में खड़ा मोहान गांव कब नदी में समा जाए कह पाना मुश्किल है हर साल गांव का उम्र घट रहा है अब तो ग्रामीणों को और भी चिंता होने लगी है क्योंकि महानदी और गांव के बीच का फासला मात्र 120 मीटर ही रह गया है । जब जब महानदी में बाढ़ आई तब तब नदी का विस्तार हुआ और गांव छोटा क्योंकि एक दो दिनों तक नदी के तेज बहाव के साथ जो पानी आता है वहां नदी के किनारे का इतना तेजी से कटाव करता है कि महानदी के सरहद का मिट्टी कट कर महानदी में पानी के साथ बह जाता है और इस बहाव के साथ गांव का उम्र छोटा हो जाता है ।

 

 

 

वैसे तो गांव कब बसा किसी को पता नही है क्योंकि जो लोग गांव में है उनके तीन चार पीढ़ी ही के लोग इस गांव में निवास करते आ रहे है ।मामला पलारी ब्लॉक मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर महानदी के तट पर बसा छोटा सा गांव मोहान का है जिसकी आबादी करीब एक हजार के आसपास की है वैसे इस गांव में निषाद समाज की बहुलता है जो महानदी के किनारे बस कर नदी में मछली मारकर और नदी में खेती कर अपना जीवनयापन करते है । गांव छोटा होने से प्राथमिक स्कूल तक कि शिक्षा बच्चों को गांव में ही मिल जाता है । गांव के सबसे बड़े वयोवृध्द जेठू राम निषाद 85 साल जो गांव की तेजी से हो रहे कटाव और हर बार बाढ़ में गांव के डूब जाने से गांव के व्यवस्थापन की मांग करते करते 40 सालो से नेता अधिकारियों का चक्कर लगाते थक गये और अब उम्र के साथ शरीर भी जवाब देने लगा जब व्यवस्थापना होने के रास्ते कठिन हो गया तो नदी के कटाव को रोकने नदी के सरहद को तटबंदी की मांग नेताओ और अधिकारियों से पिछले 10 सालों से कर रहे है पर उसके लिए भी ग्रामीणों को सिर्फ झूठा अश्वाशन और सुनहरे सपने ही दिखाया गया मगर आज तक कुछ कार्यवाही नही हुआ

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इस साल आई बाढ़ से करीब 20 से 25 मीटर तट के कटाव से गांव की नदी से 120 मीटर रह गई दूरी 

इस साल सितंबर में आई बाढ़ ने महानदी के तट की मिट्टी का कटाव 20 से 25 मीटर कर अपने साथ बहा ले गया जिससे गांव और नदी के बीच मात्र 120 मीटर का फासला रह गया जिससे गांव का उम्र बहुत ही घट गया और यही रफ्तार रही तो गांव को महानदी में समाहित होने से कोई रोक नही सकता और बहुत जल्द यानी 5 से 7 सालो में महानदी गांव पहुँच जाएगा और फिर ग्रामीणों को रहने और निस्तारी के साथ साथ जमीन में खेती करना भी मुश्किल हो जाएगा क्योकि नदी के पानी के साथ रेत भी बहकर गांव और खेतों में आएगा जिससे फसलों को नुकशान होगा और लोगों की जमीन बंजर हो जाएगा क्योंकि बाढ़ के पानी मे बहकर आई रेत को हटा पाना मुश्किल काम है ।

रेत माफियाओं ने अवैध उत्खनन करने के लिए भी छला गांव वालों को सपने दिखाकर बेच दिए अरबो के रेत 

ग्राम मोहान का लगातार हो रहा कटाव से ग्रामीणों ने शासन द्वारा रेत घाट ठेका का विरोध कर रेत उत्खनन करने का लगातार विरोध करते रहे मगर गांव वालों को अधिकारियों और ठेकेदार और नेताओं ने सुनहरे सपने दिखाकर अपना झोली जरूर भर लिए मगर गांव वालों की समस्या का कोई निदान नही किये जबकि गांव के तट को कटाव से बचाने के लिए महानदी में तटबंध करने की मांग किये मगर सिर्फ सपने ही दिखाए बड़ी बड़ी बाते किये और रेत निकाल कर ले गए और लोगो को ठग दिए । अब जब वापस रेत घाट बरसात के बाद प्रारंभ होगा तो फिर लोगो को ठगने वे लोग जाएंगे मगर गांव वालों की समस्याओं का कोई समाधान नही होगा ।

गांव का लगातार उपेक्षा से ग्रामीण नाराज 

वही गांव के धीरे धीरे महानदी के आगोश में सामने से अपने बच्चों और खुद के भविष्य को लेकर चिंतित ग्रामीणों का कहना है कि हम लोग कितने बदनसीब है कि हम अपने ही गांव को नदी में समाते हुए देख रहे है गांव लोगों का कहना है कि गांव और महानदी के बीच की दूरी करीब 1 से डेढ़ किलोमीटर से ज्यादा था मगर लगातार रेत के अवैध उत्खनन और नदी के कटाव के कारण ये दूरी किलोमीटर से अब सिर्फ मीटर तक ही सीमित हो गया जब जब बाढ़ आया नदी का तट कटा और रेत माफियो ने भी अवैध रेत उत्खनन करने के लिए तट का कटाव कर रास्ता बनाया मिट्टी से नदी में रास्ता बनाकर रेत निकाले जिससे 5 से 7 सालो में तेजी से महानदी तट पर कटाव हुआ है ग्रामीणों ने कहा कि आम लोगो की समस्याओं से किसी को कोई मतलब नही है लोगो को सिर्फ अपना स्वार्थ और अपने जेब भरने से मतलब है । इस बार के बाढ़ ने गांव के निस्तारी के कच्चे रास्ते जिससे दूसरे गांव बोदा और खेत जाने का रास्ता था उसे ही बहा ले गया और अब वहां से आने जाने के लिए बहुत ही छोटा रास्ता बच गया है जो सिर्फ पगड़न्ड़ी का काम आएगा ।

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रेत घाट को शासन ने लीज पर दिया पर नियमो को ताक में रखकर ही ठेकेदार करते है रेत उत्खनन 

वैसे तो शासन रेत घाटों का ठेका ऑनलाइन कर ड्रा सिस्टम से कराये और बहुत सारे नियम उत्खनन के लिए बनाए जिसमे शाम के 6 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी भी घाट पर रेत का उत्खनन नही मशीनों से उत्खनन न करने किसी भी सूरत में नदी में पानी का कटाव न हो रेत की खुदाई 3 मीटर से अधिक न हो मजदूरों से ही रेत खनन हो पर्यावण को प्राभवित न करे बारिश में रेत उत्खनन न हो मगर इन सभी नियमो का धज्जियां उड़ाते हुए बड़े बड़े रेत माफ़िये सत्ता के दलाल लोग ठेकेदार बन बैठे है और उनके आगे अधिकारी और गांव वाले बेबस हो कर उनको रोक पाने में भी वो सफल नही हो सके क्योकि सरकार किसी की भी हो भस्टाचार को रोक पाना सम्भव नही सिर्फ चेहरा ही बदलता है पर सिस्टम वही ही रहता है ।

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