प्रमोद मिश्रा
बलौदाबाजार/रायपुर, 25 जनवरी 2022
छत्तीसगढ़ में एक तरफ सरकार सभी युवाओं को रोजगार देने की बात करती हैं लेकिन वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में तस्वीर कुछ और ही नजर आती है । राज्य के बलौदाबाजार जिले से लगातार ग्रामीण हर वर्ष रोजगार की तलाश में अन्य राज्य में पलायन करने को मजबूर हैं । बलौदाबाजार जिले में मजदूरों को पलायन करवाने वाले ठेकेदार के साथ दलाल भी काफी सक्रिय हैं । ठेकेदारों के द्वारा लगातार मजदूरों के साथ गलत व्यवहार करने की खबर सामने आते रहती हैं ।
ताजा मामला बलौदाबाजार जिले के ग्राम पंचायत जुनवानी(ओड़ान) से आई हैं जहां कुछ मजदूरों को जबरन पुणे में ठेकेदार के द्वारा बंधक बनाकर रखा गया हैं । पुणे में काम की तलाश में गए गांव के कुछ मजदूर वहां से भागने में कामयाब हो गए लेकिन कुछ मजदूर वहां से भागने में कामयाब नहीं हो पाएं । लिहाजा, अब मजदूरों को बंधक बनाकर उनके साथ मारपीट की जा रही हैं । पुणे में ठेकेदार के चंगुल से गांव आए मजदूरों ने बताया कि ठेकेदार के द्वारा लगातार हमसे मारपीट की जाती थी । महिला मजदूरों ने बताया की ईंट भट्ठा का मालिक हमें रात भर सोने नहीं देता था । रात में आकर दरवाजे को खटखटाता था ।
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मजूदरों ने आपबीती बताते कहा कि हम अपने पूरे परिवार के साथ वहां(पुणे) काम की तलाश में तो गए थे लेकि हमें वहां सिर्फ काम कराया गया । एक महिला जो पुणे के उस ईंट भट्ठे से भागकर घर आने में कामयाब हुईं उनका कहना है कि ईंट भट्ठा का मालिक हमारे परिजन को छोड़ने के एवज में 05 लाख रुपये की डिमांड कर रहा है । ऐसे में हम 05 लाख रुपये कहां से लाएं । महिला ने बताया कि ईंट भट्ठे का मालिक ही शराब बेचता हैं और मजदूरों को शराब पिलाकर काम करवाता हैं ।
महिलाओं के आंसू अपने बेटे और बेटियों की घर आने की आस में रुक नहीं रहे हैं । मजदूरों के परिजनों ने सरकार और प्रशासन से गुहार लगाई हैं कि उनके रिश्तेदार जो पुणे में फंसे हैं उनको सरकार और प्रशासन सही सलामत वापस ले आएं ।
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एक महिला ने बताया कि उनके परिवार के नौ लोग पुणे में बंधक बने हुए हैं । महिला ने बताया कि उनको डर है कि कहीं उनके बच्चियों के साथ कुछ गलत न हों जाएं । महिला ने स्थानीय विधायक शकुन्तला साहू और सीएम भूपेश बघेल से, कलेक्टर से गुहार लगाते निवेदन किया कि उनके परिवार वालों को प्रशासन ले आएं ।
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मीडिया24 न्यूज़ अपनी जवाबदारी समझते हुए उन मजदूरों का नाम इस खबर में नहीं लिख रहा हैं क्योंकि हमें लगता हैं कि मजदूरों को उनके परिजन तक लाना ज्यादा महत्वपूर्ण हैं बजाय खबर में उनके नाम लिखने के ।