सरकार ध्यान दीजिये : छत्तीसगढ़ में ‘गुदड़ी की एक लाल’ शाहिबा की पढ़ाई के लिए पिता लगा रहे सरकारी दफ्तरों के चक्कर…RTE से एडमिशन दिलाने पिता हुए सरकारी सिस्टम का शिकार…गरीब बाप से पैसा मांग रहा स्कूल प्रबंधन

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प्रमोद मिश्रा/दीपक यादव

महासमुंद, 01 फरवरी 2022

 

 

 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी…सुनिये… CM सर, सिस्टम की मार से दम तोड़ती एक प्रतिभा को बचा लीजिये। सर…एक मजबूर बाप और उनकी प्रतिभाशाली बिटिया की गुहार सुन लीजिये…!

छत्तीसगढ़ के महासमुंद में किस तरह एक टैलेंट को भ्रष्ट और मरा सिस्टम मरने पर मजबूर कर रहा है…मीडिया24 न्यूज़ की ज़मीनी रिपोर्ट पढ़िये।

 

 

महासमुंद शहर के नयापारा में निवास करने वाली गरीब परिवार की होनहार बेटी के पालक को इन दिनों प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही की वजह से इस दफ्तर से उस दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं । शाहिबा खातून के पिता सज्जाद खान एक वेल्डर दुकान में हेल्फर के रूप में काम करते हैं, जैसे तैसे कर के कम पैसे में ही परिवार का गुजर बसर चल रहा है । शाहिबा खातून अभी 9 साल की है और पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार है, पिता सज्जाद खान अपनी बेटी को अच्छा भविष्य देने की चाह में शासन से मिलने वाली योजना शिक्षा के अधिकार के तहत इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ा लिखा कर काबिल बनाना चाहते थे, इसी की चाह में सज्जाद खान ने अपनी बेटी का दाखिला अजीज पब्लिक स्कूल में शिक्षा के अधिकार के तहत कराया था । लेकिन तीन साल बाद कोविड काल में स्कूल बंद हो गये, जिसके बाद शिक्षा विभाग ने बच्ची को वृन्दावन स्कूल में पढ़ाई के लिए स्थानांतरित करवा दिया था ।

 

मीडिया24 को मिली जानकारी के अनुसार शाबिहा खातून 2020-2021 में कक्षा दूसरी की पढ़ाई शिक्षा के अधिकार के तहत वृंदावन इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई की, अब नये सत्र में स्कूल प्रबंधन ने शाहिबा खातून के पिता सज्जाद खान को बुलाकर स्कूल फिस जमा करने कहा है । सज्जाद खान ने जब स्कूल प्रबंधन से पूछा कि उनकी बेटी शिक्षा के अधिकार के तहत आपके स्कूल में पढ़ रही है, फिर फिस किस बात का इस पर वृंदावन स्कूल प्रबंधन ने कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूल को राज्य शासन से मिलने वाला फिस अब तक शासन ने नहीं दिया है इस वजह से उन्हें फिस जमा करनी होगी।

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स्कूल प्रबंधन की बात सुनकर शाबिहा खातून के पिता बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित जिला शिक्षा कार्यालय पहुंचे, जहां उन्हें पता चला की शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाले लाभ के लिए जो कार्रवाई की जाती है वह अब तक राज्य शासन के पोर्टल में अप्रूवल नहीं हुआ है और पोर्टल में शाहिबा खातून का नाम नहीं दिख रहा है। इस वजह से राज्य शासन से मिलने वाला लाभ उन्हें नहीं मिल सका है, जिसके बाद से शाहिबा खातून के पिता लगातार दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी?

हम आपको बता दें कि जिले में कोविड काल के दौरान 7-8 प्राईवेट स्कूल बंद हो चुके है और लगभग 3 से 4 सौ बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाले लाभ से प्रभावित होना पड़ा है । जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोविड के दौरान जो प्राईवेट स्कूल बंद हुए है ऐसे बच्चों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया गया है और शिक्षा विभाग प्रयास कर रही है कि शिक्षा के अधिकार के तहत पढ़ाई करने वाले बच्चों को उनके अधिकार से वंचित ना होना पड़े।

 

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