शिक्षकों के लिए बड़ी खबर : प्राइमरी स्कूलों में भी शिक्षकों के प्रमोशन पर हाइकोर्ट ने लगाई रोक, मिडिल स्कूल में पहले से लगी है रोक, पढ़िये हाई कोर्ट का आदेश

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प्रमोद मिश्राबिलासपुर, 16 फरवरी 2022

प्रदेश में एक बार फिर शिक्षकों की पदोन्नति का मामला न्यायालयीन विवाद में फंस गया है। मिडिल स्कूल के 16 हजार शिक्षकों की पदोन्नति पर रोक के बाद अब प्राइमरी स्कूल के 30 हजार शिक्षक और प्रधानपाठक की पदोन्नति पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। इससे अब प्राइमरी और मिडिल को मिलाकर प्रदेशभर के 46 हजार शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया पर फिलहाल इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में प्राइमरी स्कूलों में प्रधानपाठक और हाई-हायर सेकेंडरी स्कूलों में व्याख्याताओं की कमी से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी।

छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा संवर्ग 2019 के नियम 15 को लेकर कुछ वरिष्ठ शिक्षकों ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से चुनौती दी थी। इसमें बताया था कि उक्त नियम के तहत पांच साल तक अनुभव रखने वाले सहायक शिक्षक प्रधानपाठक प्राइमरी स्कूल और शिक्षक के पद पर पदोन्नति के पात्र हैं। उक्त नियम को शिथिल कर अनुभव को तीन साल किया गया था।

 

 

 

नियमों में विसंगति का आधार बनाकर न्यायालय में चुनौती दी गई थी कि नियमों में एलबी कैडर की वरिष्ठता निर्धारण का कोई प्रविधान ही नहीं है। इससे अलग-अलग शिक्षा संभाग में अलग-अलग वरिष्ठता सूची का निर्धारण हो रहा है जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच ने आगामी आदेश तक शिक्षक और प्रधानपाठक प्राइमरी स्कूल की पदोन्नति पर रोक लगा दी है।

मिडिल स्कूल की पदोन्नति पर पहले ही रोक

हाई कोर्ट की ओर से इसके पहले मिडिल स्कूल के शिक्षकों के व्याख्याता और प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नति पर रोक लगाई गई थी। इसमें करीब 16 हजार शिक्षकों की पदोन्नति की प्रक्रिया रुक चुकी है। बता दें कि शिक्षक एलबी का जब संविलियन नहीं हुआ था तब वर्ष 2010 में शिक्षाकर्मियों के लिए विभागीय पदोन्नति का प्रविधान किया गया था।इस नियम के अनुसार शिक्षक एलबी को एक परीक्षा देकर मिडिल स्कूल का प्रधानपाठक बनाना था।

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इनमें से कुछ की परीक्षा कराकर प्रधानपाठक बनाया गया था और उन्हें ई-कैडर में रखा गया था। सरकार ने शिक्षकों के पदोन्नति के नियमों में एक साल के लिए शिथिलता लगाई थी। इसके अनुसार पदोन्नति के लिए शिक्षकों के अनुभव की सीमा को पांच वर्ष से घटाकर तीन वर्ष कर दिया गया था। इसी के तहत शिक्षकों के पदोन्नति के लिए प्रक्रिया चल रही थी।

शिक्षक संघों में रोषकुछ वरिष्ठ शिक्षकों ने मामले में उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इसके बाद न्यायालय ने पदोन्नति की प्रक्रिया को रोकते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। मामले में शिक्षक संघों में भारी रोष है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग की कमी के कारण ही इस तरह अंतत: पदोन्नति में रोक लग गई है।

नियम न होने से डीईओ ने की मनमर्जी

शिक्षा विभाग की सबसे बड़ी पदोन्नति के लिए विभाग ने ठीक से कोई भी तैयारी नहीं की। 46 हजार पदोन्नति के लिए संयुक्त संचालक व जिला शिक्षा अधिकारियों को समय पर समुचित निर्देश देने कोई सक्षम एक नोडल अधिकारी तक नियुक्त नहीं किया गया, जिसके कारण संयुक्त व डीईओ ने अलग-अलग नियम की व्याख्या की और मनमर्जी की वरिष्ठता सूची बनाई।

– संजय शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन

शिक्षा विभाग के कामकाज का तरीका अव्यवहारिक

शिक्षा विभाग के व्याख्याता, मिडिल प्रधानपाठक, शिक्षक व प्राइमरी प्रधानपाठक के पद पर पदोन्नति को लेकर शिक्षा विभाग के कामकाज का तरीका बेहद अव्यावहारिक है। इसके कारण हजारों शिक्षकों की पदोन्नति रुक गई है इससे कहीं न कहीं बच्चों का भी नुकसान हो रहा है।

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– राकेश शर्मा, प्रांताध्यक्ष, छत्तीसगढ़ व्याख्याता संघ

कोर्ट के निर्णय के बाद होगी प्रक्रिया

शिक्षकों के कुछ पदों के लिए पदोन्नति पर रोक लगाई है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। सरकार शिक्षकों की पदोन्नति करना चाहती है। मामले में निर्णय होते ही पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

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