माओवादी भांसी के जंगल में घात लगाकर बैठे थे। यह इलाका बेहद संवेदनशील है। इसलिए यहां से जो भी रेल गुजरती है, उसकी रफ्तार काफी धीमी होती है। ताकि नक्सली किसी घटना को अंजाम भी दें तो ज्यादा नुकसान न झेलना पड़े। मंगलवार की रात भी मालगाड़ी की रफ्तार काफी धीमी थी।
पायलट को उतारकर लगाई आग
जैसे ही मालगाड़ी के आने की खबर हथियारबंद माओवादियों को मिली तो वे जंगल से निकलकर ट्रैक पर आ गए। उन्होंने बंदूक दिखाकर मालगाड़ी को रोक लिया। इसके बाद पायलट और एक अन्य कर्मचारी को नीचे उतारा। उनसे वॉकी-टॉकी समेत मोबाइल जब्त कर लिया गया। फिर मालगाड़ी के इंजन में आग लगाकर माओवादी जंगल की तरफ चले गए। इधर, वारदात की जानकारी मिलते ही दंतेवाड़ा से DRG के जवानों को मौके के लिए रवाना किया गया है। नक्सलियों की इस हरकत की वजह से किरंदुल-विशाखापट्टनम मार्ग अभी बाधित है। जल चुके इंजन को हटाने का काम किया जा रहा है।
साल 2021 में पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी को किया था डिरेल
इससे पहले नक्सलियों ने साल 2021 में भांसी-कमालूर के पास ही रेलवे पुल के ऊपर एक पैसेंजर ट्रेन को डिरेल किया था। हालांकि उस समय लोको पायलट ने अपनी सूझबूझ दिखाई थी, जिससे बड़ा हादसा टल गया था। जिस वक्त पैसेंजर ट्रेन डिरेल हुई थी, उस समय केवल इंजन ही ट्रैक से नीचे उतरा था। रात भर कड़ी मशक्कत करने के बाद मार्ग को बहाल किया गया था। इसके अलावा नवंबर में माओवादियों ने मालगाड़ी के 12 से ज्यादा डिब्बे डिरेल किए थे।