प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 23 फरवरी 2022
अक्सर हम किसी भी व्यक्ति को सड़क पर या घर पर भीख मांगते देखते हैं तो हमारे मन में या ख्याल जरूर आता है कि उक्त व्यक्ति जो भीख मांग रहा है वह आर्थिक रूप से कमजोर होगा, उसके पास खाने के लिए अनाज नहीं होगा, ना ही रहने के लिए घर होगा । लेकिन जब आप रायपुर के इस महिला के बारे में पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि क्या ऐसा भी होता है?
राजधानी रायपुर में जब समाज कल्याण विभाग की टीम ने सड़क पर घूम – घूम कर भिक्षा मांग रही लोगों का रेस्क्यू किया, तो एक महिला ऐसे भी मिली जो लखपति है । एक बेटा विदेश में पढ़ाई करता है और दूसरा बेटा किराना व्यवसाई है । आश्चर्य की बात यह है कि महिला का मकान भी है जिसको उसने किराए पर दिया है ।
जानकारी के अनुसार भिक्षुक महिला का नाम बेनवती जंघेल है, जिनका एक बेटा विदेश में काम करता है और दूसरा किराना व्यवसायी है । इसके बाद भी महिला रायपुर के चौक – चौराहों पर भीख मांगती नजर आते रहती है । समाज कल्याण विभाग ने जब इच्छुक महिला से भीख मांगने की वजह पता कि तो महिला ने कहा कि वह भीख नहीं मांगती बल्कि उन्हें बीमारी है इस वजह से वह मंदिर मस्जिद के चक्कर लगा रही थी महिला ने पूछताछ में बताया कि उसने अपना घर भी किराए पर दिया है जिससे वह हर महीने पांच से ₹6000 की कमाई भी करती है ।
वह इस मामले में भिक्षुक पुनर्वास केंद्र की संचालक ममता शर्मा ने बताया कि समाज कल्याण विभाग द्वारा भिखारियों के रेस्क्यू का काम जारी है । जब इन्हें पुनर्वास केंद्र लाया जाता है तो लगभग 85% भिखारी भीख मांगने से इंकार कर देते हैं । ऐसा इसलिए होता है ताकि टीम उन्हें जल्दी छोड़ दे । रेस्क्यू से ऐसे भी मिल रहे हैं जो संपन्न परिवार से हैं । इसके बावजूद भी वह रायपुर के चौक चौराहों में भीख मांग कर हजारों रुपए कमाते हैं ।