छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर के ITM यूनिवर्सिटी के 117 स्टूडेंट्स को बड़ी राहत देते हुए पैरामेडिकल काउंसिल को उनका प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन करने का आदेश दिया है। यूनिवर्सिटी ने उन्हें बिना अनुमति के ही डिग्री बांट दी थी। बाद में स्टूडेंट्स डिग्री लेकर गवर्नमेंट जॉब करने के लिए अप्लाई करने पहुंचे, तब उन्हें अपात्र बता दिया गया। इससे परेशान होकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
नया रायपुर में संचालित ITM यूनिवर्सिटी में वर्ष 2015 में पैरामेडिकल काउंसिल की अनुमति के बिना ही बीएससी आप्ट्रोमैट्री और बीएससी एमएलटी कोर्स में प्रवेश दे दिया गया था। कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया था। यूनिवर्सिटी में कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स को इसकी जानकारी ही नहीं थी। उन्होंने पढ़ाई पूरी कर ली और कोर्स की डिग्री भी उन्हें मिल गई। तब तक छात्र-छात्राओं को यह पता भी नहीं था कि उन्होंने जिस कोर्स की पढ़ाई की है। उस कोर्स के लिए यूनिवर्सिटी को अनुमति नहीं मिली थी। इससे परेशान होकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
117 स्टूडेंट्स ने दायर की है याचिका
डिग्री को लेकर पास आउट छात्र- छात्राओं ने जब सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई किया। तब उनकी डिग्री को देखकर उन्हें अपात्र कर दिया गया। उन्हें बताया गया कि ITM यूनिवर्सिटी का नाम उनकी सूची में ही नहीं है। न ही यूनिवर्सिटी ने पैरामेडिकल काउंसिल से कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। मामला सामने आने के बाद 117 स्टूडेंट्स ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की।
इसमें बताया गया कि उन्होंने नियमानुसार यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था और पढ़ाई भी पूरी की है। लेकिन, उन्हें क्या पता कि यूनिवर्सिटी ने अनुमति के बिना ही एडमिशन और डिग्री दे दिया है। उनकी याचिका पर जस्टिस आरसीएस सामंत ने आगामी सुनवाई तक याचिकाकर्ता छात्र-छात्राओं को अंतरिम राहत के रूप में प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन देने का आदेश पैरामेडिकल काउंसिल को दिया है।