तंबाकू छोड़ने के अपील : NHMMI हॉस्पिटल के कर्मचारियों ने रायपुर के सड़कों पर उतरकर की तंबाकू छोड़ने की अपील, लोगों ने NHMMI के प्रयासों को सराहा

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 31 मई 2022

विश्व तंबाकू निषेध दिवस हर साल 31 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस-2022 का विषय है प्रोटेक्ट यूअर एनवायरमेंट यानी बचाएं अपना पर्यावरण। यह तो सब जानते है कि तंबाकू का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, लेकिन इस वर्ष का विषय तंबाकू के सेवन को रोकने के लिए एक और महत्वपूर्ण कड़ी जोड़ता है। एक बेहतर स्वास्थ्य और बेहतर पर्यावरण के लिए तंबाकू के सेवन को रोकना अनिवार्य है।

 

 

 

डबल्यूएचओ द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, सिगरेट बनाने के लिए 600 करोड़ पेड़ कटे है, 84 करोड़ टन सीओ2 उत्सर्जन हुआ है, 22,000 करोड़ लीटर पानी इस्तेमाल हुआ है।  हर एक सिगरेट या तंबाकू का उत्पाद उन कीमती संसाधनों को बर्बाद करता है जिस पर हमारा अस्तित्व निर्भर करता है। धूम्रपान उच्च वायु प्रदूषण का प्रमुख कारक है और इसमें तीन प्रकार की ग्रीनहाउस गैसें होती हैं जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनती हैं। 

एनसीबीआई में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि तंबाकू का सेवन ग्रामीण महिलाओं में 54.4% और शहरी महिलाओं में 40% था। शहरी क्षेत्रों की अधिकांश महिलाएं (62.8%) धूम्रपान करने वाली थीं, जबकि ग्रामीण महिलाओं (77.4%) ने धूम्रपान रहित तंबाकू (गुटका, गुड़ाकू) के उपयोग की ओर अधिक रुचि दिखाई। अध्ययन जनसंख्या में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों से दुर्ग और भिलाई महानगर, छत्तीसगढ़, मध्य भारत की 18-25 वर्षीय युवा महिलाओं का डेटा शामिल था। हम में से अधिकांश लोग हमारे स्वास्थ्य पर इसके प्रतिकूल प्रभावों से अवगत हैं, विशेष रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य पर। इसके अलावा, तंबाकू के सेवन का नकारात्मक प्रभाव युवा आबादी में अधिक प्रचलित है, भले ही सरकार ने कोटपा अधिनियम जैसी पहल की हो, लेकिन जब तक हम सार्वजनिक रूप से जागरूकता नहीं फैलाते हैं, तब तक इसका उपयोग कम नहीं हो सकता है।

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कैंसर से होने वाली मौतों में से कम से कम 30 प्रतिशत और फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतों का 80 प्रतिशत कारण तंबाखू है (एसीएस, 2012)। फेफड़े का कैंसर, जिसके लिए धूम्रपान प्राथमिक जोखिम कारक है, पुरुषों और महिलाओं दोनों में कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है (एसीएस, 2012)। यहां छत्तीसगढ़ में अन्य रूपों की तुलना में चबाने वाले तंबाकू (गुटका/गुड़ाकू) की खपत बहुत अधिक है और यह मुंह के कैंसर के बढ़ते मामलों में अत्यधिक योगदान देता है। 

एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लालपुर, रायपुर ने तंबाकू छोड़ने की अपील की। इस अपील के रूप में और जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने रायपुर के लोगों को स्वास्थ्य और पर्यावरण पर तंबाकू के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में शिक्षित करने के लिए एक गतिविधि का आयोजन किया। यह आयोजन रेलवे स्टेशन, टेलीबंधा तालाब (मरीन ड्राइव) और घाडी चौक सहित शहर भर में अलग-अलग स्थानों पर हुआ। प्रमोटर की एक टीम को लोगों को तंबाकू थूकने, चबाने और यहां तक ​​कि मिलाने से रोकते हुए सजगता फैलाते देखा गया। 

नवीन शर्मा, सुविधा निर्देशक, एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, लालपुर, रायपुर, ने कहा, “हम हमेशा कैंसर से जुड़े जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश करते हैं। सिगरेट या तंबाकू के अन्य प्रकार का उपयोग हमेशा से कैंसर का एक प्रमुख कारण रहा है और छत्तीसगढ़ में तंबाकू की अधिक खपत और इससे लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए, हमने इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए यह पहल की है। इस पहल का सफल बनाने के लिए शहर भर में विभिन्न स्थानों पर तंबाकू की खपत का विरोध किया गया।

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