राष्ट्रपति चुनाव : NDA ने जताया द्रौपदी मुर्मू पर भरोसा, तो यशवंत सिन्हा को बनाया विपक्ष ने अपना उम्मीदवार, पढ़ें दोनों प्रत्याशियों के बारे में

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नेशनल डेस्क

नई दिल्ली, 22 जून 2022

राष्ट्रपति चुनाव के लिए पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही अपने उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया है । एनडीए ने जिस नाम पर मुहर लगाई है उसकी चर्चा ज्यादा है । क्योंकि, अगर मुर्मू की जीत हो जाती है तो पहली बार कोई महिला आदिवासी राष्ट्रपति बनेगी । भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए उनके नाम का एलान किया। इससे पहले मंगलवार को ही विपक्ष ने अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया था। विपक्ष के ओर से टीएमसी सांसद यशवंत सिन्हा मुर्मू के सामने होंगे। मुर्मू अगर चुनाव जीतती हैं तो वो देश की सबसे युवा राष्ट्रपति होंगी। इस पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी भी होंगी।

 

 

 

विपक्ष ने जताया यशवंत सिन्हा पर भरोसा

राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर पूर्व टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा के नाम पर मुहर लग गई है। एनसीपी नेता शरद पवार कि अध्यक्षता में विपक्षी दलों की मीटिंग में यह फैसला लिया गया है। इस बैठक में यशवंत सिन्हा भी मौजूद थे। इससे पहले विपक्ष ने जिन तीन नामों को आगे किया था उन्होंने उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया था। इनमें शरद पावर, फारूक अब्दुल्ला और गोपालकृष्ण गांधी का नाम शामिल था। यशवंत सिन्हा ने पहले ही पार्टी से इस्तीफे की पेशकश की थी। उन्होंने कहा था कि समय आ गया है कि अब वह एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए पार्टी से हटकर विपक्षी एकता के लिए काम करें।

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कौन किसपर भारी?

लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा की संख्या के मुताबिक, सत्तारूढ़ भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के पास मौजूदा समय में करीब पांच लाख 26 हजार वोट हैं। इनमें दो लाख 17 हजार अलग-अलग विधानसभा और तीन लाख नौ हजार सांसदों के वोट हैं। एनडीए में भाजपा के साथ जेडीयू, एआईएडीएमके, अपना दल (सोनेलाल), एलजेपी, एनपीपी, निषाद पार्टी, एनपीएफ, एमएनएफ, एआईएनआर कांग्रेस जैसे 20 छोटे दल शामिल हैं।

मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से एनडीए को अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए और 13 हजार वोटों की जरूरत पड़ेगी। 2017 में जब एनडीए ने रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाया था, तब आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा की बीजद ने भी समर्थन दिया था। इसके अलावा एनडीए में न होते हुए भी जदयू ने समर्थन दिया था। वहीं, पिछली बार एनडीए का हिस्सा रही शिवसेना और अकाली दल अब अलग हो चुके हैं।

बीजद के पास 31 हजार से ज्यादा वैल्यू वाले वोट हैं और वाईएसआरसीपी के पास 43,000 से ज्यादा वैल्यू वाले वोट हैं। इनमें से किसी एक के समर्थन से भी एनडीए आसानी से जीत हासिल कर सकती है। ओडिशा से आने वालीं मुर्मू को बीजद का समर्थन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसा होता है तो एनडीए आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार कर लेगी।

विपक्ष के पास कितने वोट?

कांग्रेस की अगुआई वाले यूपीए के पास अभी दो लाख 59 हजार वैल्यू वाले वोट हैं। इनमें कांग्रेस के अलावा डीएमके, शिवसेना, आरजेडी, एनसीपी जैसे दल शामिल हैं। कांग्रेस के विधायकों के पास 88 हजार 208 वैल्यू वाले वोट हैं। वहीं, सांसदों के वोट की वैल्यू 57 हजार 400 है।

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वहीं, पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी, उत्तर प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस, दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी, केरल की सत्ताधारी पार्टी लेफ्ट, तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी टीआरएस, एआईएमआईएम जैसे दलों के वोट की वैल्यू करीब दो लाख 61 हजार है।

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