नेशनल डेस्क
नई दिल्ली, 25 अप्रैल 2025
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए 1960 में हुए ऐतिहासिक सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। सरकार का कहना है कि सीमा पार से आतंकवाद और संधि के उल्लंघन के चलते अब इस पर दोबारा विचार की आवश्यकता है।
सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर आज एक उच्चस्तरीय बैठक होगी, जिसमें जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल समेत कई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री शामिल हो सकते हैं। बैठक में संधि के भविष्य और भारत के अधिकारों पर चर्चा की जाएगी।
भारत ने पाकिस्तान को औपचारिक तौर पर पत्र लिखकर इस निर्णय की सूचना दे दी है। जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी द्वारा पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय में सचिव सैय्यद अली मुर्तुजा को यह पत्र भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि “जनसंख्या, स्वच्छ ऊर्जा और जल वितरण के मूल आधारों में बदलाव” के चलते संधि पर पुनर्विचार ज़रूरी हो गया है।
सरकार का कहना है कि पाकिस्तान ने न केवल संधि की शर्तों का पालन नहीं किया, बल्कि बातचीत से भी इनकार किया है। “सुरक्षा को लेकर बनी अनिश्चितता के कारण भारत अपने अधिकारों का पूरी तरह उपयोग नहीं कर पा रहा है,” सरकार ने यह स्पष्ट किया है।
पाकिस्तान पर संभावित प्रभाव
सिंधु नदी को पाकिस्तान की जीवनरेखा माना जाता है। देश की 80% कृषि योग्य भूमि, जो करीब 16 मिलियन हेक्टेयर है, सिंधु के पानी पर निर्भर करती है। इसके अलावा कराची, लाहौर और मुल्तान जैसे बड़े शहरों की जल आपूर्ति भी इसी पर आधारित है। अगर जल आपूर्ति बाधित होती है, तो पाकिस्तान की खेती, पीने का पानी और बिजली उत्पादन पर गहरा असर पड़ेगा।
भारत के इस कदम को सीमा पार आतंकवाद पर कड़ा संदेश माना जा रहा है। आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी यह निर्णय पाकिस्तान के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।