प्रमोद मिश्रा
बलौदाबाजार, 24 जून 2022
छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के लवन से एक वीडियो वायरल हो रहा है । वीडियो में एक व्यक्ति गौ मांस को काट रहा है और एक महिला और एक छोटा लड़का ग्राहकों को गौ मांस दे रहा है । वीडियो वायरल होने के बाद विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल के कार्यकर्ता लवन चौकी पहुँचे । विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष अभिषेक तिवारी के नेतृत्व में पहुँचे कार्यकर्ताओं ने तत्काल आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की । इस मामले पर दबाव बनता देख पुलिस ने आनन – फानन में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है । लवन चौकी प्रभारी हितेश जंघेल ने बताया कि आरोपी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है । अब ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि जब वीडियो में यह स्पष्ठ नजर आ रहा है कि आरोपी के साथ दो और लोग संलग्न है, तो उनपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई । सवाल यह भी है कि क्या सिर्फ धारा 151 के तहत कार्रवाई करना उचित है? क्या आरोपी के ऊपर पशु क्रूरता अधिनियम 1960 लागू नहीं होता । क्या आरोपी के खिलाफ कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम, 2004 लागू नहीं होता? अब ऐसे में पुलिस की कार्रवाई पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं ।
- धारा 151कहाँ लगायी जाती है-
- दो पक्षों में मनमोटाव के दौरान,
- चुनावी घोषणा के दौरान जब ये लगे कि हिंसा भड़ सकती है,
- कहीं भी शांति व्यवस्था भंग करने के दौरान,
- मारपीट के दौरान
क्या इस धारा में जेल भेजा जाता है?
सीआरपीसी की धारा 151 के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को न्यायिक अभिरक्षा में जेल नहीं भेजा जाता है, बल्कि केवल पुलिस हिरासत में रखा जाता है। पुलिस ऐसी गिरफ्तारी करके व्यक्तियों के संबंध में रजिस्टर में जानकारी अंकित करती है और उन्हें पुलिस थाने में बने हुए हवालात में रखती है पर यहां ध्यान देना होगा कि भले ही पुलिस धारा 151 के अंतर्गत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करें उसे किसी भी सूरत में 24 घंटे से ज्यादा हवालात में नहीं रखा जा सकता।
24 घंटे होने के पूर्व पुलिस को ऐसे गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को छोड़ना ही पड़ता है क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति को मिला एक संवैधानिक अधिकार है कि पुलिस बगैर मजिस्ट्रेट की अनुमति के किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक हिरासत में नहीं रख सकती है। कोई व्यक्ति पुलिस हिरासत में रहेगा या न्यायिक अभिरक्षा में रहेगा इसका निर्णय मजिस्ट्रेट करता है पुलिस नहीं करती है।
छत्तीसगढ़ में कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम, 2004 के अंतर्गत किसी कृषक पशु की हत्या करने पर सात वर्ष का कारावास एवं 50 हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है।