प्रमोद मिश्रा
बलौदाबाजार, 12 दिसंबर 2022
छत्तीसगढ़ में लगतार विलुप्त हो रहे तेंदुए के शिकार ने एक बार फिर कई सवाल खड़े कर दिए हैं । दरअसल, बलौदाबाजार वनमंडल के लवन परिक्षेत्र में 2 वयस्क तेंदुए का शव मिला है । वनमण्डल के लवन परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 114 के परिसर अल्दा में तेंदुए का शव मिला है । वन विभाग ने 1 माह पूर्व मौत होने की पुष्टि की है ।
आपको बता दे कि पशु चिकित्सको ने तेंदुए में मांस नही मिलने के कारण पोस्टमार्टम नहीं किया है । वन विभाग ने तेंदुए के चमड़ा, दांत, नाखून, स्नायु तंत्र के साथ 3 डॉक्टरों की टीम के साथ शव को दफन किया है । मामले में लवन परिक्षेत्र के अल्दा बीट गार्ड की लापरवाही उजागर हुई है । विलुप्ति के कगार पर खड़े तेंदुए की मौत होना वन विभाग के जिम्मेदारों पर कई तरह के सवाल खड़े करता है ।
आपको बता दे कि यह ऐसा पहला मौका नहीं है जब किसी जंगली जानवर का शव मिला है, इससे पहले भी इस वनमण्डल में कई तरह के जंगली जानवरों के शिकार होने की खबर सामने आते रही है । अब देखना होगा कि तेंदुए के शिकार किये आरोपियों तक कब वन विभाग की टीम पहुंच पाती है ।
दोषी कौन?
इस मामले में सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि तेंदुए को मरे 1 महीने का समय बीत चुका है । ऐसे में बीट गार्ड के साथ डिप्टी रेंजर और रेंजर को इसका पता कैसे नहीं चल पाया? या फिर सब कुछ पता होने के बाद भी इस मामले को छुपाया जा रहा था क्योंकि अमूमन देखा जाता है कि बीट गार्ड के साथ डिप्टी रेंजर और रेंजर अपने रेंज के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र का लगातार दौरा करते हैं । फिर, ऐसे में सवाल यह उठता है कि 1 महीने बीत जाने के बाद भी आखिर वन विभाग के जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों को इसकी भनक कैसे नहीं लगी? चर्चा यह भी है कि कहीं वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को सब पहले से पता था । लेकिन, वह इस मामले को सामने लाना ही नहीं चाहते थे ।
कार्रवाई किसपर
वन मंडल में हुए दो तेंदुए की मौत के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस पूरे मामले को लेकर कार्रवाई आखिर किस पर होगी? क्या वन मंडल के अधिकारी सिर्फ कर्मचारियों पर कार्रवाई की बात करेंगे या फिर जिम्मेदार अधिकारियों पर भी करवाई होगी? इससे पहले भी बलौदाबाजार वन मंडल के अंतर्गत आने वाले देवपुर रेंज में भी देखा गया है कि पहले रेंज अधिकारी के ऊपर कार्रवाई करने पर विभाग ने आनाकानी की, फिर मामला बढ़ता देख रेंजर को हटाया गया था ।
अब इस मामले में भी देखना दिलचस्प है कि अधिकारी कब किसी जिम्मेदार पर कार्रवाई करते हैं या फिर इस मामले को भी ठंडे बस्ते में डालकर सिर्फ कर्मचारियों के ऊपर ही कार्रवाई की जाती है ।
क्या कर्मचारी और अधिकारी नहीं करते क्षेत्र का दौरा
इस मामले पर सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि तेंदुए की मौत हुए 1 महीने का समय बीत जाने के बाद जब इस मामले का खुलासा हुआ। फिर, ऐसे में सवाल ये उठता है कि वन विभाग के बीटगार्ड, डिप्टी रेंजर और रेंजर अपने क्षेत्र का दौरा करते भी हैं या नहीं । क्योंकि, अगर किसी घटना को 1 माह का वक्त बीत जाता है और उसके बाद वन विभाग के जिम्मेदारों को इसका पता चलता है तो ताज्जुब की बात है कि इतने दिन तक अधिकारियों और कर्मचारियों की इसका पता कैसे नहीं चल पाया? ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी सिर्फ कुर्सी पर पर बैठकर अपनी तनख्वाह के लिए कार्य करते हैं या फिर जंगल में जाकर जंगली जानवरों के शिकार और बेशकीमती लकड़ियों के कटाई पर भी कोई अंकुश लगाते हैं?