Who is Anand mohan singh : कौन है आनंद मोहन सिंह, जेल से बना सांसद,करा दी थी कलेक्टर की हत्या

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प्रमोद मिश्रा, पटना, 25 अप्रैल 2023

पटना: बिहार में पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की बहुत जल्द जेल से परमानेंट रिहाई होने वाली है। बिहार सरकार के जेल नियमावली में बदलाव के बाद उम्र कैद की सजा काट रहे 27 कैदियों को रिहा किया जाएगा। इनमें आनंद मोहन भी हैं। आनंद मोहन फिलहाल विधायक बेटे चेतन आनंद की शादी के लिए पैरोल पर जेल से बाहर हैं। बाहुबली नेता कहे जाने वाले आनंद मोहन को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। इन्हीं सवालों से एक है क्या जेल से परमानेंट बाहर आने पर आनंद मोहन पहले वाले ही रहेंगे या बदल जाएंगे? इस सवाल का जवाब मंगलवार को खुद आनंद मोहन ने मीडिया से बात करते हुए दिया। आनंद मोहन सिंह ने हंसते हुए कहा, ‘देखिए व्यक्ति का नेचर और सिग्नेचर अंतिम में ही समाप्त होता है।’, बता दें, आनंद मोहन को 1994 में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। वे आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।

जेडीयू का मायावती और बीजेपी पर निशाना

इधर बिहार में आनंद मोहन की परमानेंट रिहाई को लेकर सियासत गरमा गई है। जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने ट्वीट करते हुए उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘आनंद मोहन की रिहाई पर अब बीजेपी खुलकर सामने आई है। पहले तो यूपी की अपनी बी टीम से विरोध करवा रही थी। बीजेपी को यह पता होना चाहिए कि नीतीश कुमार के सुशासन में आम व्यक्ति और खास व्यक्ति में कोई अंतर नहीं किया जाता है। आनंद मोहन ने पूरी सजा काट ली और जो छूट किसी भी सजायाफ्ता को मिलती है, वह छूट उन्हें नहीं मिल पा रही थी क्योंकि खास लोगों के लिए नियम में प्रावधान किया हुआ था। नीतीश कुमार ने आम और खास के अंतर को समाप्त किया और एकरूपता लाई। तब उनकी रिहाई का रास्ता प्रशस्त हुआ। अब भाजपाइयों के पेट में न जाने दर्द क्यों होने लगा है।’

 

 

 

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ललन सिंह ने आगे कहा कि बीजेपी का सिद्धांत ही है, विरोधियों पर पालतू तोतों को लगाना, अपनों को बचाना और विरोधियों को फंसाना है। वहीं नीतीश कुमार के सुशासन में न तो किसी को फंसाया जाता है न ही किसी को बचाया जाता है।’

आनंद मोहन की रिहाई को लेकर भड़कीं मायावती

इससे पहले यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्वीट कर इस निर्णय के पुनर्विचार करने की बात कही। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि बिहार की नीतीश सरकार की, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है। उन्होंने आगे कहा कि आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम कृष्णया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है। चाहे कुछ मजबूरी हो लेकिन बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे।

बता दें, आनंद मोहन इन दिनों घर में मांगलिक कार्य को लेकर पेरोल पर जेल से बाहर हैं। सोमवार को उनके पुत्र की सगाई थी, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह भी पहुंचे थे।

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