Karnataka Election: मोदी मैजिक, 5 गारंटी या सत्ता विरोधी लहर… कर्नाटक में बीजेपी, कांग्रेस और JDS कहां खड़े हैं?

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प्रमोद मिश्रा, 9मई 2023

बेंगलुरु: कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार खत्म हो चुका है। हाई वोल्टेज अभियान में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस ने पूरी ताकत झोंक दी। जहां कई चुनावी सर्वे बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर बता रहे हैं, वहीं जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) को एक बार फिर किंगमेकर बनने की उम्मीद है। आइए जानते हैं कि प्रभार अभियान पर ब्रेक लगने के बाद बीजेपी, कांग्रस और जेडीएस कहां पर खड़े हैं?
बीजेपी को मोदी मैजिक पर फिर भरोसा
बीजेपी ने चुनाव प्रचार के आखिरी फेज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के दिग्गज नेताओं को उतार दिया। पीएम मोदी ने अकेले पूरे राज्य में 20 से ज्यादा रैलियां कीं। इसके साथ ही बेंगलुरु में दो दिन तक पीएम ने मेगा रोडशो से बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया। इस रोडशो के जरिए पीएम ने तकरीबन 25 विधानसभा सीटों को कवर किया। मोदी ने कांग्रेस की दो चूक को भुनाने की कोशिश की। पहला उन पर निजी हमले को लेकर पलटवार और दूसरा बजरंग दल पर बैन का मुद्दा। देश की सबसे पुरानी पार्टी पर हमला करने के साथ ही पीएम ने भावनात्मक रूप से जोड़ने की मुहिम चलाई। आखिरी दस दिन के प्रचार में मोदी ने अपने हर भाषण की की शुरुआत बजरंग बली की जय से की।

अमित शाह भी अपनी रैलियों में कांग्रेस पर चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे को लेकर हमलावर रहे। इसके साथ ही बीजेपी लिंगायत-वोक्कालिगा को अतिरिक्त आरक्षण (दो-दो प्रतिशत) के फैसले के बाद जातीय गणित पर काफी कुछ उम्मीद कर रही है। अभी यह देखना बाकी है कि बोम्मई सरकार का फैसला वोटों में कितना तब्दील हो पाता है। 1985 से अब तक किसी पार्टी की सत्ता रिपीट नहीं हुई है। लेकिन बीजेपी फिर भी इतिहास रचने की उम्मीद कर रही है।

 

 

 

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कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर और 5 गारंटी से उम्मीद
कभी गढ़ रहे राज्य में कांग्रेस वापसी की उम्मीद कर रही है। पीएम मोदी के आखिरी दौर में ताबड़तोड़ रैली, रोडशो और सभाओं के बावजूद कांग्रेस के नेताओं को अपनी पांच गारंटियों पर काफी भरोसा है। इसक साथ ही कांग्रेस को बीजेपी सरकार के खिलाफ मजबूत सत्ता विरोधी लहर की उम्मीद है। पार्टी की उम्मीद है कि घोषणा पत्र में किए गए वादों से बढ़ती महंगाई जैसे मुद्दों पर नाराजगी भुनाने में मदद मिलेगी। बीजेपी के खिलाफ अपने अभियान में कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को तवज्जो दी है। इसके साथ ही एक महीने के प्रचार के दौरान भ्रष्टाचार और बसवराज बोम्मई सरकार के कथित कुशासन पर ही फोकस किया है। हालांकि पार्टी ने अभियान के अंतिम दौर में दो गलतियां की हैं। पहला पीएम मोदी की तुलना जहरीले सांप से करना और दूसरा बजरंग दल पर बैन की बात घोषणा पत्र में लाना। एक्सपर्ट्स अभी इसके चुनावी असर को लेकर एक राय नहीं हैं लेकिन पार्टी के अंदर ही कुछ लोगों का मानना है कि इससे बचा जा सकता था। हुबली में चार साल के बाद सोनिया गांधी की पहली रैली से कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा है।

क्या जेडीएस फिर किंगमेकर बनकर उभरेगी?
कर्नाटक की जंग में तीसरा अहम खिलाड़ी जेडीएस है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में पार्टी ने काफी पहले से चुनाव की तैयारियां की थीं। लेकिन माना जा रहा है कि प्रचार अभियान के आखिरी दौर में वह दो राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी के मुकाबले पिछड़ गई। देवगौड़ा और कुमारस्वामी की सेहत खराब होने की वजह से अंतिम दौर में जेडीएस का प्रचार अभियान फीका रहा। पार्टी उत्तर कर्नाटक पर फोकस नहीं कर सकी, जहां से उसकी अच्छी संभावनाएं थीं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाते हुए क्षेत्रीय पार्टी जेडीएस ने किसानों के अलावा गरीबी, क्षेत्रीय विकास और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को अपने मेनिफेस्टो में छुआ। पार्टी को अच्छी संख्या में सीटें जीतने का भरोसा है। अगर कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा बनती है तो जेडीएस 2018 की तरह फिर किंगमेकर बन सकता है।

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