प्रमोद मिश्रा
बस्तर, 26 मई 2023
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन पर राज्य में सुस्त काम चल रहा है। राज्य में जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर के मान से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। सितंबर 2023 तक इस योजना को पूरा करने का टारगेट तय किया गया है। 50 लाख घरों में नल से पानी पहुंचाना था, जाे अब तक 18 लाख 16 हजार घरों में पहुंच पाया है। योजना को पूरा करने केवल 9 माह का समय शेष है, ऐसे में कार्य तेजी से करने पर जोर दिया जा रहा है। एक तरफ काम की रफ्तार इतनी सुस्त है, वहीं दूसरी तरफ जल जीवन मिशन में काम करने वाले ठेकेदार भी काफी परेशान नजर आ रहे हैं । दरअसल,अगस्त 2019 से केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत घरों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए योजना लागू की थी।
आपको बताते चलें कि बस्तर संभाग के ऐसे ठेकेदार जो जल जीवन मिशन योजना में काम कर रहे हैं, उन्होंने प्रमुख अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को पत्र लिखकर तीन बिन्दुओं का जिक्र करते कहा है कि उनको न तो समय पर भुगतान हो पा रहा है । दूसरे बिंदु में देयक एवं माप पुस्तिका में माप दर्ज होने में हो रही दिक्कतों को बताया गया है । तीसरे बिंदु में समयसीमा का जिक्र किया गया है ।
ठेकेदारों के तरफ से पहले बिंदु में कहा गया है कि भुगतान आपके (प्रमुख अभियंता) बस्तर प्रवास के अंतर्गत दिनांक 06 अप्रैल 2023 को होटल अविनाश इंटरनेशनल में बस्तर संभाग के पी.एच.ई विभाग के सभी अनुबंधित कार्य ठेकेदारों की बैठक आहूत कि गई थी, जिसमें आपके द्वारा त्वरित भुगतान हेतु विशेष रूप से आश्वस्त करते हुए निविदा में भाग लेने एवं कार्यों में उचित प्रगति लाने हेतु निर्देशित किया गया था, जिसके उपरान्त आपके द्वारा दिए गए आश्वासन से उत्साहित होकर ठेकेदारों द्वारा निविदा में यथाशक्ति भाग लिया एवं कार्यों की गुणवत्ता को सुधारते हुए कार्यों को प्रगतिरत किया गया, किन्तु आपके प्रवास से वापिस लौटने से आज पर्यन्त तक संभाग में किसी भी ठेकेदार को भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है एवं ठेकेदारों की आर्थिक स्थिति प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है । जिसकी वजह से ठेकेदारों के मानसिक स्थिति कार्यों को पूर्ण करने योग्य नहीं रह गई है, इन परिस्थियों में जल जीवन मिशन के कार्यों को करना संभव नहीं है ।
दूसरे बिंदु में कहा गया है कि देयक एवं माप पुस्तिका में माप दर्ज एच (i) ज्ञात हो कि उपखण्ड कार्यालयों द्वारा समय से माप पुस्तिका में माप दर्ज करने में आनाकानी की जाती है एवं अत्यधिक व्यस्तता का हवाला देते हुए देयक प्रस्तुत करने में अरुचि जाहिर की जाती है।
(ii) एक से अधिक बार उपखण्ड कार्यालय में उपस्थित होकर ठेकेदारों द्वारा देयक प्रस्तुत करने का अनुरोध करने पर सहायक अभियन्ता व उप अभियन्ता द्वारा स्पष्ट रूप से कहा जाता है कि कार्य करना चाहते है तो किजिए यदि काम करने के पैसे नहीं है तो बन्द कर दिजिए।
(iii) सहायक अभियन्ता, उप अभियन्ता एवं टी. पी.आई के द्वारा कार्य स्थल का समय से निरीक्षण नहीं किया जाता है एवं चलित देयक प्रस्तुत करने के समय किए गए कार्य में मीन मेख निकालते हुए देयक प्रस्तुत करने में टाल मटोल किया जाता है। वास्तविक माप दर्ज करने हेतु हिस्सेदारी की मांग की जाती है जो कि सरासर अनुचिंत है।
तीसरे बिंदु में समयसीमा के बारे में अपनी परेशानी बताते ठेकेदारों ने कहा है कि अनुबंधन उपरांत विभाग द्वारा 9 माह की समयावधि प्रदान की गई है, परन्तु ठेकेदार द्वारा चलित देयक प्रस्तुत किये जाने उपरांत अधिक विलम्ब से चलित देयक भुगतान होने पर (चलित देयक बिल प्रस्तुत करने से भुगतान होने की अवधि तक की समय सीमा जो कि विभागीय कारणों से व्यतित हो जाती है एवं विभाग द्वारा व्यतित हुए समय की भरपाई ठेकेदारों को समय वृद्धि में पेनालटी लगाकर वसूल किया जाता है जो कि उचित प्रतीत नहीं होता है। अतः समय अवधि में भुगतान न होने पर विलम्ब भुगतान की अवधि को बिना किसी अर्थदण्ड के समयवृद्धि में जोड़ा जाना उचित होगा।
ठेकेदारों ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उपरोक्त बिन्दुओं पर महोदय से अनुरोध है त्वरित विचार करते हुए अनुबंधित ठेकेदारों को राहत प्रदान की जाए अन्यथा उक्त परिस्तिथियों में ठेकेदारों द्वारा आर्थिक एवं मानसिक कष्टों को झेलते हुए कार्य को सम्पादित करना संभव नही है। यदि शीघ्र भुगतान एवं विभागीय कार्य प्राणालियों में सुधार नही किया गया तो सभी ठेकेदारो द्वारा कार्य बंद करने को विवश होगे जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी विभाग की होगी।