प्रमोद मिश्रा, 1 जून 2023
जयपुर/रायपुर. साल के अंत में कांग्रेस शासित दो प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं. ये प्रदेश हैं राजस्थान और छत्तीसगढ़. इन दोनों राज्यों में चुनाव से जुड़ी गतिविधियां शुरू भी हो चुकी हैं. विभिन्न दलों के नेता अनेक बहानों से लगातार जनता के बीच जा रहे हैं. आमलागों को राहत पहुंचाने वाले कई फैसले भी लिए जा रहे हैं. कई घोषणाएं भी की जा रही हैं. इन सबके बीच बड़ी खबर सामने आई है. केंद्रीय जांच एजेंसियां (सीबीआई, ईडी) इन दोनों प्रदेशों के विधायकों और मंत्रियों के चुनावी हलफनामे को खंगाल रही हैं. पिछले चुनाव में सौंपे गए हलफनामे में दिए गए संपत्ति के ब्योरों का मिलान किया जा रहा है. किसी तरह का मामला पकड़ में आने पर ये एजेंसियां बड़ा कदम उठा सकती हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई और ईडी राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधायकों एवं मंत्रियों के चुनावी हलफनामे खंगालने में जुटी हैं. दरअसल, जांच एजेंसियां मंत्रियों-विधायकों की ओर से चुनावी हलफनामे में दिए गए संपत्ति के ब्योरों का जमीन पर मिलान कर रही है. इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सीबीआई और ईडी कांग्रेस नेताओं पर पहले से दर्ज मामलों पर आगे बढ़ने के साथ इन्हें और खंगालने में जुटी है. बता दें कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ के कुछ नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के समक्ष कुछ मामले विचाराधीन भी हैं. इनमें कई दिग्गज नेताओं के साथ ही उनके रिश्तेदारों के नाम भी शामिल हैं.
एजेंसियों की टेढ़ी नजर
विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच जांच एजेंसियों की टेढ़ी नजर से कांग्रेस सतर्क है. ‘पत्रिका’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन के खिलाफ ईडी की कार्रवाई के बाद सीबीआई भी फर्टीलाइजर घोटाले में केस दर्ज कर चुकी है. इस तरह छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भी ईडी की नजर है. छत्तीसगढ़ में ईडी ने शराब ठेकों के मामले में पिछले दिनों कार्रवाई भी की थी. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके कुछ मंत्रियों के खिलाफ मिले दस्तावेज और शिकायतों के आधार पर जांच की कार्रवाई की जा सकती है.
चुनावी हलफनामों की छानबीन
बताया जा रहा है कि केंद्रीय एजेंसियां राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मंत्रियों और विधायकों के चुनावी हलफनामों को खंगाल रही है. पिछले चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामों में जितनी संपत्ति का ब्योरा दिया गया था, उसका मौजूदा संपत्ति से तुलना की जा रही है. बड़ा अंतर पाए जाने पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है.