प्रमोद मिश्रा, 19 जून 2023
Gita Press Awarded Gandhi Peace Prize: गोरखपुर (Gorakhpur) की गीता प्रेस (Gita Press) को साल 2021 का ‘गांधी शांति पुरस्कार’ (Gandhi Shanti Award) से सम्मानित किया जाएगा. जिसे लेकर सियासत तेज हो गई है. जहां कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने इस फैसले का विरोध किया तो वहीं अब इस पर मशहूर कवि डॉ कुमार विश्वास (Dr Kumar Vishwas) की भी प्रतिक्रिया सामने आई हैं. कुमार विश्वास ने गीता प्रेस को ये सम्मान दिए जाने का समर्थन करते हुए फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि ऐसी प्रेस के लिए विषैले शब्द बोलना ठीक नहीं है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश के विरोध पर डॉ कुमार विश्वास ने बिना नाम लिए निशाना साधा है. उन्होंने जयराम रमेश के बयान पर एबीपी न्यूज की खबर को शेयर करते हुए ट्वीट किया और कहा, “पूज्य हनुमान प्रसाद पोद्दार जी व अन्य महापुरुषों द्वारा उत्प्रेरित गीता प्रेस जैसा महान प्रकाशन, दुनिया के हर सम्मान के योग्य है. करोड़ों-करोड़ आस्तिकों के परिवारों तक न्यूनतम मूल्य में सनातन-धर्म के पूज्य ग्रंथ उपलब्ध कराना महान पुण्य-कार्य है. ऐसी प्यारी संस्था के लिए यह विष-वमन उचित नहीं.”
जयराम रमेश ने जताई फैसले पर आपत्ति
दरअसल गीता प्रेस हिन्दू धार्मिक ग्रंथों की दुनिया की सबसे बड़ी पब्लिशर है. इस प्रेस की स्थापना जय दयाल गोयनका, हनुमान प्रसाद पोद्दार और घनश्याम दास जलान ने साल 1923 में गोरखपुर में की गई थी. इस साल इस प्रेस ने पूरे सौ साल कर लिए हैं. ऐसे में गीता प्रेस को ये सम्मान ‘अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान’ के लिए दिए जाने का फैसला किया गया है. लेकिन इस फैसले पर सियासत भी तेज हो गई है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की तुलना सावरकर और गोडसे से की है.
आपको बता दें कि गीता प्रेस में 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ किताबों का प्रकाशन किया है, जिनमें 16.21 करोड़ श्रीमद भगवद गीता पुस्तकें शामिल हैं. खास बात ये है कि इस संस्था ने पैसा कमाने के लिए कभी भी अपने प्रकाशनों के लिए विज्ञापन नहीं लिए. यही नहीं गांधी शांति पुरस्कार के साथ ही गीता प्रेस को एक करोड़ रुपये की राशि से सम्मानित किया जाना है, लेकिन मैनेजमेंट ने एक करोड़ की सम्मान राशि स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.