पीड़ित न्याय की गुहार लेकर किसके पास जाए? : FIR के 29 दिन बीत जाने के बाद भी आरोपी को नहीं पकड़ पाई कसडोल थाना की स्मार्ट पुलिस, पीड़ित पक्ष अब गृहमंत्री से लगाएंगे न्याय की गुहार

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर/कसडोल, 27 जुलाई 2023

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाज़ार जिले के कसडोल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं । दरअसल, 29 जून 2023 को कसडोल थाने में अरुण कुमार देवांगन ने पेशे से शिक्षक दिलहरण देवांगन के ऊपर पैसे लेकर नौकरी नहीं लेने का आरोप लगाया था, जिस पर कसडोल थाने में 29 जून को ही आईपीसी की धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया गया था ।
एफ आई आर दर्ज होने के 29 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है, ऐसे में पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं ।

 

 

 

आपको बताते चलें कि आरोपी दिलहरण देवांगन ने प्रार्थी अरुण कुमार देवांगन से उसके भाई किशोर कुमार देवांगन को वार्ड बॉय की नौकरी एवं पत्नी प्रमिला देवांगन को नर्स की नौकरी लगाने के नाम पर 11 लाख रुपए की धोखाधड़ी की थी साथ ही सरवानी निवासी दीपांशु कोसले को वन रक्षक के पद पर नौकरी लगाने के नाम पर चार लाख और राकेश कोसले से वनरक्षक के पद पर ही नौकरी लगाने के नाम पर भी 4 लाख रूपए लिए थे साथ ही यशवंत बंजारे से मंडी निरीक्षक के पद पर नौकरी लगाने के नाम पर 4 लाख 50 हजार आरोपी द्वारा लिया गया था ।

पीड़ित का आरोप है कि ना तो उसे नौकरी मिली और ना ही उसका पैसा वापस दिया गया, ऐसे में जब उसने आरोपी दिलहरण देवांगन से पैसा वापस मांगा, तो पहले तो आरोपी ने उसे घुमाया और बाद में कहने लगा कि तुमने मुझे पैसा दिया ही नहीं है । आपको बता दें कि प्रार्थी द्वारा दिलहरण देवांगन को दिए गए पैसे का साक्ष्य मीडिया24 न्यूज के पास उपलब्ध है ।

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इस मामले को लेकर प्रार्थी पक्ष ने बलौदा बाजार जिले के पुलिस अधीक्षक को भी 29 मई 2023 को आवेदन दिया था, बावजूद इसके अभी तक आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है ।

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पुश्तैनी जमीन को गिरवी रखकर दिया पैसा

प्रार्थी अरुण कुमार देवांगन ने अपने भाई और अपने पत्नी की नौकरी लगाने के लिए आरोपी दिलहरण देवांगन को अपनी पुश्तैनी जमीन को गिरवी रखकर पैसा दिया था, बावजूद इसके ना तो उसके भाई और उसकी पत्नी की नौकरी लगाई गई और ना ही उसका पैसा वापस किया गया ।

ऐसे में पीड़ित पक्ष अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है और पुलिस द्वारा भी न्याय नहीं मिलने पर गृह मंत्री से मुलाकात कर उनसे आग्रह करने की बात कर रहा है ।

FIR दर्ज होने के 29 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली

एफ आई आर दर्ज होने के 29 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली रहने पर पुलिस की कार्रवाई पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहा है । दरअसल, स्मार्ट पुलिसिंग का दावा करने वाली पुलिस अभी तक आरोपी को पकड़ नहीं पाई है, ऐसे में सवाल खड़े होता है कि अगर किसी आरोपी को एफ आई आर दर्ज होने के 29 दिन बाद भी पुलिस पकड़ नहीं पाती है तो फिर स्मार्ट पुलिसिंग कहने का क्या मतलब?

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इस मामले में कसडोल थाने के थाना प्रभारी कैलाश चंद्र दास ने कहा कि आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम गई थी, लेकिन आरोपी को हार्ट अटैक आने की वजह से उसे बिलासपुर के किसी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था ।
जब पुलिस से हमने यह जानना चाहा कि पुलिस किस तारीख को आरोपी को पकड़ने गई थी, तो थाना प्रभारी ने देखकर बताने की बात कही है ।

कानून के जानकर क्या कहते हैं?

कानून के जानकर बताते हैं कि अगर किसी आरोपी को किसी विशेष परिस्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, तो अस्पताल जाकर ही पुलिस उसको गिरफ्तार करेगी और जब तक आरोपी स्वस्थ नहीं हो जाता, वहां पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाकर उसके स्वस्थ होने का इंतजार करेगी और स्वस्थ होने के बाद उसको न्यायालय में पेश करेगी ।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब पुलिस को सूचना मिली कि आरोपी को हार्ट अटैक आने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है, तो उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई और उसके स्वस्थ होने तक उस अस्पताल में पुलिस की ड्यूटी क्यों नहीं लगाई गई ।

स्कूल से भी नदारद आरोपी शिक्षक

जिस शिक्षक को बच्चों के भविष्य को गढ़ने की जिम्मेदारी मिली थी । वह शिक्षक 420 का मामला दर्ज होने के बाद फरार है और स्कूल भी नहीं जा रहा है । ऐसे में शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों पर भी सवाल उठता है कि उस शिक्षक पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है ।

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