जन्माष्टमी विशेष: जन्माष्टमी पूजा खीरे के बिना मानी जाती है अधूरी, जानें किसे खाना चाहिए ये प्रसाद

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प्रमोद मिश्रा, 6 सितम्बर 2023

धर्म| कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल 2023 में जन्माष्टमी का पर्व 2 दिन यानी 6 और 7 को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी पर भगवान विष्णु ने कंस के अत्याचारों से धरतीवासियों को मुक्ति दिलाने के लिए श्री कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था। हर साल इस दिन को श्रीकृष्ण की जन्मभूमी मथुरा में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। श्री कृष्ण का जन्म रात को हुआ था इसलिए बाल गोपाल की पूजा अधिकतर स्थानों पर रात को होती है। कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा के समय खीरे का उपयोग होता है। खीरे के बिना कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व अधूरा माना जाता है। आइए जानते हैं, कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में खीरे का इस्तेमाल क्यों किया जाता है और क्या है इसका महत्व-

कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में लोग खीरे का उपयोग जरूर करते हैं। इस दिन खीरे को काटकर उसके तने से अलग कर लिया जाता है। इसे कान्हा जी के माता देवकी से अलग होने का प्रतीक भी माना जाता है। श्री कृष्ण के लिए ऐसा खीरा लाया जाता है, जिसमें थोड़ी डंठल और पतियां लगी होती हैं। माना जाता है कि ऐसा खीरा लाने से लड्डू गोपाल खुश होते हैं और भक्तों के सारे दुख-दर्द हर लेते हैं।

 

 

 

कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में खीरे का बहुत महत्व है। पूजा के समय खीरे के इस्तेमाल के पीछे यह माना जाता है कि जब कोई बच्चा पैदा होता है तो उस बच्चे को मां से अलग करने के लिए गर्भनाल काट दिया जाता है। उसी प्रकार जन्माष्टमी पर खीरे को डंठल के साथ काटकर अलग कर लिया जाता है। यह श्री कृष्ण का माता देवकी से अलग होने का प्रतीक माना जाता है। ऐसा करने के बाद पूरे विधि-विधान के साथ श्री कृष्ण की पूजा की जाती है।

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खीरा काटने की प्रक्रिया को नाल छेदन के नाम से भी जाना जाता है। जन्माष्टमी वाले दिन पूजा करते समय खीरे को कृष्ण जी के समक्ष रख दें। जैसे ही रात के 12 बजे यानी कृष्ण के जन्म के बाद एक सिक्के की मदद से खीरे और डंठल को बीच से काटकर अलग कर दें।

पूजा हो जाने के बाद खीरे का क्या करें
बहुत से लोग लड्डू गोपाल की पूजा में उपयोग हुए खीरे को प्रसाद के रूप में बांट देते हैं। वहीं कुछ स्थान पर यह खीरा नवविवाहित या गर्भवती महिलाओं को खाने के लिए दिया जाता है। माना जाता है कि नवविवाहिता या गर्भवती महिला को यह खीरा खिलाने से श्रीकृष्ण जैसे पुत्र का जन्म होता है।

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