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3100 रु. धान का समर्थन मूल्य घोषित करें केंद्र की मोदी सरकार या झूठे घोषणा पत्र पर माफी मांगे छत्तीसगढ़ के भाजपाई

रायपुर 29 नवंबर 2023। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा है कि धान और किसान भारतीय जनता पार्टी के लिए केवल चुनावी लिहाज से ही जरूरी है। जब-जब अवसर आया भाजपा ने किसानों से केवल छल ही किया है। 15 साल रमन राज के कुशासन में बोनस के नाम पर किसानों को ठगने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता, मोदी की गारंटी के नाम पर इस बार 3100 रुपया प्रति क्विंटल धान का समर्थन मूल्य देने का वादा अपने तथा कथित वचन पत्र में किए हैं। नरेंद्र मोदी तो पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में बनारस से सांसद हैं, फिर वहां के किसानों को क्यों अपना धान 1200 से 1400 रुपया प्रति क्विंटल के दर पर बेचना पड़ रहा है? मोदी जी पूरे देश के प्रधानमंत्री है और केंद्र में उनकी सरकार है, यदि साहस है तो धान का एमएसपी 3100 रुपया प्रति क्विंटल घोषित करें, जिसका लाभ पूरे देश के किसानों को मिलेगा। अन्यथा भारतीय जनता पार्टी के नेता केवल चुनावी लाभ के लिए बोले गए अपने झूठ, राजनीतिक पाखंड और जुमलेबाजी के लिए छत्तीसगढ़ के किसानों से माफी मांगे।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार देश की पहली और इकलौती सरकार है, जिसने लगातार किसान विरोधी निर्णय थोपे हैं। किसानों और राज्यों के आर्थिक हितों के खिलाफ केंद्रीय पूल में खरीदे जाने वाले चावल में लिमिट की बाध्यता लगाई है। उसना-अरवा का अड़ंगा लगाकर व्यवधान उत्पन्न किए। चावल के निर्यात पर 10-10 प्रतिशत तक सेंट्रल एक्साइज थोपा है, यही नहीं कनकी के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जिसके चलते मंडियों और खुले बाजार में धान बेचने वाले किसानों को भयंकर नुकसान उठाना पड़ा है। केंद्र की मोदी सरकार ने 2014 में देश के किसानों से वादा किया था स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश के अनुसार सी-2 फार्मूले पर 50 प्रतिशत लाभ के आधार पर एसपी तय करेंगे, 2022 तक किसानों की आय दुगनी होगी, किया उल्टे मोदी निर्मित महंगाई के चलते कृषि की लागत 3 गुना हो गई। किसानों से एमएसपी की कानूनी गारंटी का वादा भी देश के प्रधानमंत्री मोदी ने ही किया था वह भी जुमला हो गया। असलियत यही है कि केंद्र की मोदी सरकार को केवल अपने पूंजीपति मित्रों के द्वारा बनाए गए बड़े बड़े सायलो में रखें अनाज की चिंता है, पूंजीपति मित्रों के मुनाफे की चिंता है न कि किसानों की।

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