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बिहार विधानसभा में आज होगा ‘खेला’ या नीतीश साबित कर देंगे बहुमत?

ब्यूरो रिपोर्ट

पटना, 12 फ़रवरी 2024|बिहार विधानसभा में सोमवार को नीतीश कुमार को अपना बहुमत साबित करना है. नीतीश सरकार के लिए यह पहला मौक़ा दिखता है, जिसमें उनकी सरकार के बचने या गिर जाने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई गई हैं.

बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए से हाथ मिलाने के साथ ही राज्य में ज़्यादातर सियादी दल अपने विधायकों को टूटने से बचाने में लगे हुए हैं. इसके लिए विधायकों को अपनी नज़रों के सामने रखने की कोशिश की गई है.

हालाँकि इसके बावजूद भी बीते क़रीब 15 दिनों से ऐसी चर्चा खूब चल रही है कि राज्य में ‘ऑपरेशन लोटस’ और ‘ऑपरेशन लालटेन’ की कोशिश जारी है.

इस लिहाज़ से नीतीश सरकार के लिए सोमवार को होने वाला फ़्लोर टेस्ट काफ़ी अहम है.

रविवार देर शाम हैदराबाद से लौटने के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉक्टर शकील अहमद ख़ान ने भी दावा कर दिया है कि बिहार विधानसभा में फ़्लोर टेस्ट में ‘खेला’ होगा और सच की जीत होगी

 

दरअसल ऐसे दावों के पीछे जनता दल यूनाइटेड के कुछ विधायकों की कथित नाराज़गी बताई जाती है. विपक्ष का दावा है कि नीतीश कुमार बार-बार कुछ चुनिंदा चेहरों को मंत्री बनाते हैं, इससे उनके कई विधायक नाराज़ हैं.

बिहार के सियासी गलियारों में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम दौर में हैं और ऐसे में कई विधायकों को अपने भविष्य को लेकर भी चिंता है.

राज्य की एनडीए सरकार के पास आँकड़ों के लिहाज़ से बहुत छोटा बहुमत है. ऐसे में सियासी अटकलों के बीच कई सियासी दल अपने विधायकों को टूटने से बचाते हुए भी दिख रहे हैं.

243 सीटों की बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों का समर्थन ज़रूरी है. जबकि सरकार में शामिल बीजेपी के 78 और जेडीयू के 45 विधायकों को मिला दें तो यह संख्या 123 हो जाती है.

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इसमें जीतन राम मांझी की पार्टी हम (सेक्युलर) के 4 विधायक और एक निर्दलीय विधायक को मिलाकर आँकड़ा 128 तक पहुँच जाता है. लेकिन अटकलों की शुरुआत भी जीतनराम मांझी को लेकर ही हुई थी.

नई सरकार में दो मंत्रिपद की मांग करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने यहाँ तक कह दिया था कि उन्हें राष्ट्रीय जनता दल ने मुख्यमंत्री तक बनाने का प्रस्ताव दिया है. बाद में कांग्रेस ने भी मांझी को राज्य में महागठबंधन की सरकार बनवाने के लिए यही प्रस्ताव दिया.

हालाँकि जीतनराम मांझी लगातार दावा करते रहे कि वो एनडीए के साथ हैं, लेकिन विधानसभा में फ़्लोर टेस्ट के दो दिन पहले यानी शनिवार को बिहार में सीपीआईएम के विधायक महबूब आलम ने मांझी से उनके आवास पर लंबी मुलाक़ात की थी.

बलरामपुर विधायक महबूब आलम ने बीबीसी को बताया, “मैं मांझी जी की तबीयत के बारे में जानने के लिए गया था. ज़ाहिर तौर पर इस दौरान राजनीतिक चर्चा भी हुई है और हम उम्मीद करते हैं कि फ़्लोर टेस्ट में हमारी जीत होगी, नीतीश सरकार की हार होगी.”

महबूब आलम का दावा है कि ‘नीतीश ने जो गठबंधन बनाया है वह बेमेल का गठबंधन है. नीतीश के बार-बार पाला बदलने से उनके समाजवादी विचारधारा के विधायकों में नाराज़गी है. विधायकों का स्वाभिमान और अपना अस्तित्व है. ऐसा नहीं है कि नीतीश जब जो कहेंगे वही होगा, विधायकों की जवाबदेही जनता के प्रति है.’

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