प्रमोद मिश्रा
दंतेवाड़ा, 28 मई 2024
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में एक आईईडी विस्फोट के बाद पंद्रह नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से सात महिलाएं हैं। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रविवार को जब सुरक्षा बल तलाशी अभियान पर थे तब नक्सलियों ने विस्फोट किया, लेकिन कोई घायल नहीं हुआ।
पुलिस ने बताया कि रविवार को जब सुरक्षा बल तलाशी अभियान पर थे तब नक्सलियों ने विस्फोट किया है। इस हादसे में अब तक कोई घायल नहीं हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि गिरफ्तार किए गए अधिकांश कैडर प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के फ्रंटल संगठनों में सक्रिय थे।
सुरक्षाकर्मियों को नहीं हुआ कोई नुकसान
अधिकारी ने बताया कि गश्ती दल ने शनिवार को गुमलनार और मुस्तलनार गांवों के जंगल में अभियान शुरू किया था और रविवार शाम करीब साढ़े चार बजे नक्सलियों ने सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाने के लिए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट किया। उन्होंने बताया कि विस्फोट में सुरक्षाकर्मियों को कोई नुकसान नहीं हुआ। अधिकारी ने आगे बताया कि विस्फोट के बाद कुछ संदिग्धों को मौके से भागने की कोशिश करते देखा गया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने पीछा किया और उनमें से 15 को पकड़ लिया।
6 लाख रुपए के इनामी नक्सली ने किया सरेंडर
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में छह लाख रुपए के इनामी नक्सली गणेश गट्टा पुनेम (35) ने मंगलवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. वो छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का रहने वाला है. उसने पुलिस उप महानिरीक्षक (संचालन) जगदीश मीना के सामने आत्मसमर्पण किया है.
नक्सली गणेश गट्टा पुनेम को साल 2017 में भामरमगढ़ एलओएस के साथ आपूर्ति टीम के सदस्य के रूप में भर्ती किया गया था. साल 2018 में उसकी सक्रियता को देखते हुए उसके संगठन ने डिप्टी कमांडर के रूप में पदोन्नत कर दिया. इसके बाद वो छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र तक सक्रिय हो गया.
साल 2017 और 2022 में बीजापुर के मिरतुर और तिम्मेनार में हुए नक्सल-पुलिस मुठभेड़ में उसने अहम भूमिका निभाई थी. उसने सरेंडर के बाद पुलिस को बताया कि चिकित्सा सुविधाओं की कमी और वरिष्ठ नक्सलियों के द्वारा पैसों के दुरुपयोग से वो दुखी था. इसलिए उनका साथ छोड़ दिया.
बताते चलें कि सरेंडर करने वाले नक्सली को राज्य और केंद्र की पुनर्वास नीति के तहत 5 लाख रुपए मिलते हैं. पिछले दो वर्षों में 14 बड़े नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने सरेंडर किया है. ऐसे सभी नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने में पुलिस आवश्यक सहायता करती है.