फर्जी होलोग्राम मामला: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी एसटीएफ की कार्रवाई पर लगाई रोक, अनिल टुटेजा को छत्तीसगढ़ वापस भेजने की मंजूरी दी

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सतीश शर्मा

रायपुर, 10 अगस्त 2024
सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी होलोग्राम मामले में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह फैसला आरोपी विधु गुप्ता की याचिका के आधार पर दिया है। फर्जी होलोग्राम मामला छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़ा है और इस मामले में होलोग्राम बनाने वाली प्रिज्म कंपनी के मालिक विधु गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था।

दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले को लेकर नोएडा के कासना में एफआईआर दर्ज की थी। इस एफआईआर की जांच यूपी एसटीएफ की टीम कर रही थी। इसी एफआईआर के आधार पर यूपी एसटीएफ ने रायपुर के कारोबारी अनवर ढेबर, जो मेयर एजाज ढेबर के भाई हैं और पूर्व आबकारी अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था।

 

 

 

इस बीच, मेरठ कोर्ट ने अनिल टुटेजा की ओर से पेश अर्जी को स्वीकार करते हुए उन्हें छत्तीसगढ़ वापस लौटने की अनुमति दे दी। मेरठ कोर्ट ने कहा, “आरोपी को इस शर्त पर किसी अन्य कोर्ट में पेश होने की अनुमति दी जाती है कि वह निर्धारित तिथियों पर इस कोर्ट में पेश हो।” अब टुटेजा को रायपुर कोर्ट में लाया जा सकता है।

आरोपी ने फर्जी होलोग्राम मामले में दर्ज एफआईआर के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी। इलाहाबाद के फैसले के बाद नोएडा के कासना थाने में दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए याचिका सुप्रीम कोर्ट ले जाई गई।

एफआईआर में आबकारी विभाग के पूर्व विशेष सचिव एपी त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास और होलोग्राम सप्लाई करने वाली प्रिज्म कंपनी के डायरेक्टर विधु गुप्ता के नाम हैं।

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दावा है कि टेंडर हासिल करने के बाद विधु गुप्ता ने छत्तीसगढ़ में सक्रिय सिंडिकेट को डुप्लीकेट होलोग्राम सप्लाई करना शुरू कर दिया। यह सप्लाई सीएसएमसीएल (छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड) के तत्कालीन एमडी अरुणपति त्रिपाठी के निर्देश पर की गई। सिंडिकेट के सदस्य विधु गुप्ता से डुप्लीकेट होलोग्राम लेते थे और उन्हें सीधे तीन शराब निर्माण कंपनियों को देते थे। इन डिस्टिलरी में, होलोग्राम को अवैध शराब की बोतलों पर चिपका दिया जाता था, जिसे फिर नकली ट्रांजिट पास का उपयोग करके CSMCL की दुकानों तक पहुँचाया जाता था। छत्तीसगढ़ के 15 जिलों में आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा नकली ट्रांजिट पास बनाने में मदद की गई।

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