रायपुर दक्षिण उपचुनाव: CM विष्णुदेव साय ने कहा – “रायपुर दक्षिण सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार रखते हुए, हम इस चुनाव को चुनौती के रूप में लेकर भारी मतों से जीतेंगे”, राजनीतिक दलों ने चुनावी तैयारियों में झोंकी ताकत

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प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 17 अक्टूबर 2024

रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव की घोषणा होते ही चुनावी माहौल गरमा गया है। जैसे ही निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीखों का ऐलान किया, दोनों प्रमुख दल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने अपनी चुनावी तैयारियों में तेजी ला दी है। यह उपचुनाव इसलिए अहम है क्योंकि रायपुर दक्षिण सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ मानी जाती है और इस सीट से 8 बार लगातार विजयी रहे बृजमोहन अग्रवाल के लोकसभा सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई है।

**मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का आत्मविश्वास भरा बयान**

 

 

 

उपचुनाव की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, “हम इस चुनाव को एक चुनौती के रूप में ले रहे हैं। रायपुर दक्षिण सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है, और इस बार भी हम इसे भारी मतों से जीतेंगे। किसी भी प्रतिद्वंदी को कमजोर नहीं आंकना चाहिए, लेकिन हमारी तैयारी पूरी है।” उन्होंने यह बयान हरियाणा दौरे पर रवाना होने से पहले दिया, जहां वे हरियाणा के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने जा रहे थे। उनके साथ उप मुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा भी शामिल थे।

मुख्यमंत्री ने इस चुनाव को लेकर अपनी पार्टी के आत्मविश्वास को जाहिर किया और बताया कि भाजपा का संगठन इस सीट को बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरेगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में भाजपा मजबूत हुई है और यह उपचुनाव भी उसी दिशा में एक और कदम साबित होगा।

**रायपुर दक्षिण: भाजपा का गढ़**

रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर भाजपा का लंबा इतिहास रहा है। बृजमोहन अग्रवाल ने यहां से लगातार 8 बार जीत दर्ज की है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने बड़ी जीत हासिल की थी, जिसके बाद उन्हें छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार में शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया गया, जिसमें उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की। उनकी जीत के बाद रायपुर दक्षिण सीट खाली हुई और अब इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है।

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**उपचुनाव की तारीखें घोषित**

निर्वाचन आयोग ने रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव के लिए कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। 13 नवंबर 2024 को मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना कर नतीजे घोषित किए जाएंगे। इस उपचुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 18 अक्टूबर से शुरू होगी और 25 अक्टूबर नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि होगी। नामांकन पत्रों की जांच 28 अक्टूबर को होगी, और नाम वापसी की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर रखी गई है।

**कांग्रेस की तैयारी और मुकाबला**

हालांकि रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर भाजपा का दबदबा है, लेकिन कांग्रेस भी इस उपचुनाव को हल्के में नहीं ले रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी पूरी तैयारी के साथ चुनाव में उतरेगी और जनता को भाजपा सरकार की विफलताओं को उजागर करेगी। कांग्रेस ने पहले ही अपने उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली है और चुनावी अभियान जोर-शोर से शुरू कर दिया है। पार्टी का लक्ष्य भाजपा के इस गढ़ को तोड़कर जीत दर्ज करना है।

**विपक्ष का दावा और मुद्दे**

कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि रायपुर दक्षिण सीट के विकास कार्यों में कमी आई है। पार्टी नेताओं ने कहा कि भाजपा ने केवल अपनी राजनीति की है और जनता की समस्याओं को नजरअंदाज किया है। कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी, और विकास में कमी जैसे मुद्दों को लेकर भाजपा पर आक्रामक रूख अपनाएगी। कांग्रेस यह दावा कर रही है कि उपचुनाव में जनता उन्हें मौका देगी ताकि वे विकास को आगे बढ़ा सकें।

**सुरक्षा और चुनावी तैयारियां**

चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए निर्वाचन आयोग ने व्यापक तैयारियां की हैं। 19 सेक्टर मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की गई है, और 9 उड़नदस्ते (एफएसटी) तथा 12 स्थैतिक निगरानी दल (एसएसटी) का गठन किया गया है। इसके साथ ही 4 स्थैतिक नाके लगाए गए हैं, जहां सुरक्षा कड़ी रहेगी। भाठागांव, देवपुरी, अग्रसेन चौक और सुभाष स्टेडियम में यह नाके स्थापित किए गए हैं, जहां से चुनाव के दौरान निगरानी की जाएगी।

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**राजनीतिक दलों की चुनावी रणनीति**

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल इस उपचुनाव को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। भाजपा जहां अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत करने में जुटी है, वहीं कांग्रेस जनसंपर्क अभियान के जरिए जनता से सीधा संवाद करने की कोशिश कर रही है। दोनों दलों के बड़े नेता प्रचार के लिए मैदान में उतरने वाले हैं और अगले कुछ दिनों में रायपुर दक्षिण में राजनीतिक हलचल और तेज हो जाएगी।

रायपुर दक्षिण उपचुनाव के नतीजे न केवल रायपुर जिले की राजनीति पर असर डालेंगे, बल्कि राज्य में आगामी चुनावी रणनीतियों को भी प्रभावित करेंगे।

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