प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 12 नवंबर 2024
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का काम आगामी 14 नवंबर से शुरू होना है, लेकिन इससे पहले ही एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। धान खरीदी करने वाली 2,058 सहकारी समितियों के लगभग 13,000 कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिसके चलते किसानों के लिए टोकन जारी करने और बारदाना उपलब्ध कराने में कठिनाई हो रही है। इससे अधिकारी भी चिंतित हैं और स्थिति पर स्पष्टता नहीं दिखा पा रहे हैं।
हड़ताल के कारण अभी तक न तो खरीदी केंद्रों पर बारदाना पहुंचा है और न ही साफ-सफाई का कार्य पूरा हुआ है। कुछ क्षेत्रों में तो किसानों का पंजीयन भी नहीं हुआ है। कर्मचारियों का कहना है कि हड़ताल खत्म होने के बाद भी सामान्य प्रक्रिया में चार से पांच दिन का समय लग सकता है।
**सहकारी समितियों की प्रमुख मांगें**
छत्तीसगढ़ प्रदेश सहकारी समिति कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश साहू ने बताया कि अगर मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो कर्मचारी संघ धान खरीदी का बहिष्कार करेगा। संघ की मुख्य मांगों में धान की सूखत पर प्रति क्विंटल तीन प्रतिशत की दर से मुआवजा, प्रति समिति तीन लाख रुपये प्रबंधकीय वेतन अनुदान और जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में सेवा नियम के तहत 50 प्रतिशत नियुक्ति शामिल है।
**राइस मिलर्स का कस्टम मिलिंग से इनकार**
वित्तीय वर्ष 2024-25 के कस्टम मिलिंग को लेकर प्रदेश के राइस मिलरों ने भी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि उन्हें वित्तीय वर्ष 2022-23 का करीब 1,500 करोड़ रुपये अभी तक शासन से नहीं मिला है। इस समस्या को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन की बैठक में निर्णय लिया गया है कि जब तक उन्हें पुराना भुगतान नहीं मिल जाता, वे नए वित्तीय वर्ष की कस्टम मिलिंग का कार्य शुरू नहीं करेंगे।
**नए नियमों से बढ़ी सियासत**
धान खरीदी को लेकर प्रदेश में सियासी तापमान भी बढ़ गया है। धान खरीदी नीति में बदलाव और बफर स्टॉक उठाव के नियमों को लेकर विपक्षी पार्टी के नेता सरकार पर आरोप लगा रहे हैं।